Kamakhya temple Darshan tickets online:असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या देवी मंदिर में देवी सती की योनि की पूजा होती है| साल के 3 दिन यहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित रहता है| तो आज हम आपको बताएंगे कि अगर आप मां कामाख्या देवी में दर्शन करने के लिए जा रहे हैं यहां पर भक्तों की काफी भीड़ पाई जाती है| तो हम आपको बताना चाहते हैं कि अगर आप मां कामाख्या देवी में दर्शन करने के लिए जा रहे हैं दर्शन करने से पहले आप Kamakhya Temple VIP ticket online booking करवा ले|
मां कामाख्या का मंदिर पूरे भारत मैं नहीं बल्कि पूरे देश विदेश मैं भी प्रसिद्ध है|माता कामाख्या मंदिर 52 शक्ति पीठ में से एक है| भारतवर्ष के लोग इसे अघोरियों और तांत्रिकों का गढ़ मानते हैं|दिसपुर के लगभग 10 किमी दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है| मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर ना तो माता की कोई मूर्ति है नाही कोई तस्वीर यहां एक कुंड है जो हमेशा ही फूलों से ढका हुआ रहता है|
Kamakhya Temple online booking
मंदिर धर्म पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने चक्कर से माता सती के 51 भाग किए थे| जहां जहां यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्ति पीठ बन गया| इस जगह पर माता की योनि गिरी थी| इसलिए यहां पर उनकी मूर्ति नहीं बल्कि योनि की पूजा होती है| आज यह जगह शक्तिशाली पीठ है|दुर्गा पूजा, पोहान बिया, दुर्गादेऊल, बसंती पूजा, मदान देऊल, अम्बुवासी और मनासा पूजा पर इस मंदिर की रौनक देखते ही बनती है।
अगर आप मां कामाख्या देवी आने का सोच रहे हैं तो हम आपको बताना चाहेंगे कि आप आने से पहले Kamakhya Temple online booking करवा ले| हम आपको इसलिए बता रहे हैं क्योंकि यहां पर हर समय भक्तों का ही भीड़ लगी रहती है| दर्शन करने के लिए यहां पर लंबी लंबी लाइन लगी होती हैं| अगर आपने पहले मां कामाख्या देवी मंदिर दर्शन टिकट ऑनलाइन कार्रवाई होगी तो आप आसानी से माता जी के दर्शन कर सकते हैं|
Kamakhya temple Darshan or Aarti Timings
Darshan Aarti | दर्शन का समय |
पीठस्थान का स्नान | सुबह 5:30 बजे |
Nitya Puja | सुबह के 6 बजे |
भक्तों के लिए मंदिर के दरवाजे खुले | 8:00 बजे |
कामाख्या मंदिर प्रसाद के लिए मंदिर के दरवाजे बंद | 1:00 बजे |
भक्तों के लिए मंदिर का दरवाजा फिर से खुल गया | शाम के 2:30 |
देवी की आरती के बाद रात के लिए मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया | 5:30 सायंकाल |
मां कामाख्या देवी मंदिर का इतिहास
कामाख्या मंदिर को कामरूप कामाख्या के नाम से भी जाना जाता है|यह एक हिंदू मंदिर है जो देवी कामाख्या को समर्पित है जिन्हें काली और मा त्रिपुर सुंदरी नाम से भी जाना जाता है|जो इच्छाओं को पूर्ण करने वाली माता है कालिका पुराण के अनुसार कामाख्या मंदिर उसे स्थान को दर्शाता है देवी सती गुप्त रूप से भगवान शिव के साथ अपने प्रेम को शांत करती है| और बाद में तब सिस्टम में आई जब शिव अपनी पत्नी सती की लाश जा रहे थे और उनकी योनि जमीन पर गिर गई यह वह स्थान है जहां अब मंदिर खड़ा है|
कामाख्या मंदिर काले जादू और तांत्रिकों का स्थान है जहां जानवरों की बलि दी जाती है यह मंदिर मैं आर्य और गैर आ रहे तत्वों की अवस्थाओं और प्रथम के मेल का प्रतीक है देवी देवताओं से जुड़े विभिन्न नाम स्थानीय आर्य और अनार्य देवियों के नाम है|
जानिए इसका इतिहास मां कामाख्या देवी मंदिर 3 दिन क्यों रहता है बंद
बताया जाता है कामाख्या देवी का मंदिर 22 जून से 25 जून तक बंद रहता है| माना जाता है कि इन दिनों में माता सती रजस्वला रहती हैं। इन तीन दिनों में पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकते| कहते हैं इन तीन दिनों में माता का दरबार में सफेद कपड़ा रखा जाता है| जो 3 दिनों में लाल रंग का हो जाता है इस कपड़े को अम्बुवाची वस्त्र कहते हैं। इसे ही प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है|
मान्यता है कि जो लोग मंदिर के दर्शन तीन बार कर लेते हैं तो उनके सांसारिक भवबंधन से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए मंदिर तंत्र विद्या के लिए मशहूर है इसलिए साधु संत भी यहां दर्शन करने के लिए आते हैं|
कामाख्या मंदिर में क्या करें और क्या ना करें
- कामाख्या मंदिर गर्भ ग्रह में कैमरे और मोबाइल की अनुमति नहीं है|
- कृपया यातायात नियमों का पालन करें| क्योंकि मंदिर नीलचल पहाड़ियों में स्थित है|
- दुर्गा पूजा या महत्वपूर्ण त्योहार के दौरान दर्शन के तारे अपेक्षा में अधिक लंबी होती हैं इसलिए कृपया शांत रहे अपनी बारी का इंतजार करें|
Kamakhya Temple ticket price
1) सामान्य कतार में प्रवेश- नि:शुल्क
2) वीआईपी दर्शन कतार में प्रवेश- ₹501 प्रति व्यक्ति
3) रक्षा कर्मियों के लिए – ₹50 प्रति व्यक्ति
Kamakhya Temple online booking
- कामाख्या मंदिर ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर क्लिक करें|
- आधिकारिक वेबसाइट पर जाने के बाद ऑनलाइन बुकिंग स्पेशल दर्शन का लिंक दिखाई देगा| उसे लिंक पर जाएं|
- उसके बाद न्यू यूजर पर क्लिक करें|अब अपना नाम पिन कोड ऐड्रेस ईमेल आईडी डालिए|
- उसके बाद सबमिट कर दीजिए|इस प्रकार आप घर बैठे ऑनलाइन कामाख्या देवी मंदिर ऑनलाइन टिकट बुकिंग कर सकते हैं|
कामाख्या मंदिर की असली कहानी क्या है?
माना जाता है कि नीलांचल पर्वत पर माता की योनि गिरी थी, जिसके कारण यहां कामाख्या देवी शक्तिपीठ की स्थापना हुई|ऐसी मान्यता है कि माता की योनि नीचे गिरकर एक विग्रह में परिवर्तित हो गयी थी, जो आज भी मंदिर में विराजमान है और जिससे आज भी माता की वह प्रतिमा रजस्वला होती है|
कामाख्या मंदिर के बारे में क्या खास है?
मंदिर धर्म पुराणों के अनुसार विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे। जहां-जहां यह भाग गिरे वहां पर माता का एक शक्तिपीठ बन गया। इस जगह पर माता की योनी गिरी थी, इसलिए यहां उनकी कोई मूर्ति नहीं बल्कि योनी की पूजा होती है। आज यह जगह शक्तिशाली पीठ है।
कामाख्या देवी को क्या चढ़ाएं?
देवी कामाख्या को मिठाई के साथ ही लौकी, कद्दू और गन्ने भी चढ़ाए जाते हैं। केवल अंबुबाची के समय तीन दिन छोड़कर मंदिर पूरे साल खुला रहता है और यहां रोजाना पशुओं की बलि दी जाती है।