Kangra Fort online ticket:हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल धर्मशाला से लगभग 20 किमी दूर कांगड़ा शहर के बाहरी इलाके में स्थित कांगड़ा किला (Kangra ka kila) भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है। यह भारत के सबसे बड़े किलो में से एक है|तो आईए जानते हैं भारत के सबसे पुराने किलो में से एक कांगड़ा किले के बारे में
हिमाचल का कांगड़ा फोर्ट यहां की एक चर्चित टूरिस्ट डेस्टिनेशन है|इस की सबसे बड़ी खासियत इसका रोचक इतिहास है जो खजाने तक से जुड़ा है| कांगड़ा किले को देखने के लिए देश और विदेश दोनों जगह से चलानी आते हैं चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में कुछ रोचक बातें और तथ्य
कांगड़ा किला भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है। यह भारत के सबसे बड़े किलों में से एक भी है, जो सूची 8 वे पायदान पर है।लगभग 4 किमी के क्षेत्र को कवर करते हुए शिवालिक पहाड़ी पर 463 एकड़ में फैला हुआ है। माझी और बाणगंगा नदियाँ इस प्राचीन किले के आधार पर संगम करती हैं यहां आप धौलाधार का खूबसूरत नजारा भी देख सकते हैं|
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हरियाली खूबसूरत पहाड़ और कई हिस्सों में वादियों से गिरे भारत का इतिहास भी काफी पुराना है| वैसे देश में ऐतिहासिक इमारतें हैं जिनमें बेहद रोचक तथ्य और कहानी जुड़ी हैं|इन ऐतिहासिक इमारत को देखने या जानने के लिए देश ही नहीं विदेशों सैलानियों आना लगा रहता है|क्या आप जानते हैं इनमें से एक कांगड़ा फोर्ट है जिसका इतिहास खजाने तक से जुड़ा हुआ है|हिमाचल के कांगड़ा शहर के बाहरी इलाकों में यह किला मौजूद है जो चर्चित टूरिस्ट डेस्टिनेशन धर्मशाला से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर है|
हजारों सालों से बना यह किला व्यास और उसकी सहायक नदियां की निचली घाटी के नजदीक मौजूद है| हिमाचल के आकर्षण का केंद्र माने जाने वाले इसके लिए का संबंध धन और खजाने से रहा है|इसी कारण यहां आने वाला हर शख्स इसके इतिहास को जानने का इच्छुक रहता है. चलिए आपको बताते हैं इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें
Kangra Fort History in Hindi
कांगड़ा किला कांगड़ा राज्य कटोच राजवंश के शाही राजपूत परिवार द्वारा बनाया गया था| जिसकी उत्पत्ति महाभारत महाकाव्य में वर्णित प्राचीन त्रिगर्त साम्राज्य से हुई है। यह हिमालय का सबसे बड़ा किला है और संवत भारत के सबसे पुराने किलो में से एक है|कांगड़ा के किले ने 1615 में अकबर की घेराबंदी का विरोध किया| अकबर के बेटे जहांगीर ने 1620 में किले को सफलतापूर्वक अपने अधीन कर लिया|जिससे चंबा के राजा इश्क क्षेत्र के सभी राज्यों में सबसे महान को मजबूर होना पड़ा| मुगल सम्राट जहांगीर ने माल की मदद से अपने सैनिकों के साथ की घेराबंदी की
कटोच राजाओं ने मुगल नियंत्रित क्षेत्र को बार बार लूटा जिसमें मुगल नियंत्रण कमजोर हो गया|और मुगल शक्ति के पतन के साथ राजा संसार चंद द्वितीय 1789 में अपने पूर्वजों के प्राचीन किले को पुनः प्राप्त करने में सफल रहे। महाराजा संसार चंद ने एक तरफ गोरखाओं के साथ और दूसरी तरफ सिख राजा महाराणा रंजीत के साथ कई लड़ाइयां लड़ी| संसार चंद राजा अपने पड़ोसी राजाओं को जेल में बंद रखता था उसके खिलाफ षड्यंत्र हुए|सिखों और कटोच के बीच लड़ाई के दौरान किले के द्वारा आपूर्ति के लिए खुले रखे गए थे|
1806 में गोरख सेनानायक कम हथियारों के साथ खुले द्वार में प्रवेश किया|इसके बाद महाराजा संसार चंद और महाराजा रणजीत सिंह ने गठबंधन को मजबूर कर दिया|इसके बाद 1809 में गोरखा से हार गई 1846 के सिख युद्ध के बाद किले को आता अंग्रेजों का कब्जा हो गया एक ब्रिटिश सेना ने किले पर तब तक कब्जा रखा जब तक कि 4 अप्रैल 1905 को आए भूकंप में किले को भारी क्षति नहीं पहुंची।
कांगड़ा फोर्ट का निर्माण
कहते हैं कि करीब 3500 साल पहले कटोच वंश के महाराजा सुशर्मा चंद्र ने बनाया था. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने कौरवों के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा लिया था. ये भी कहते हैं कि दुश्मनों से लड़ाई लड़ने के लिए राजा ने इस किले को बनवाया था
किले में मौजूद है खजाना!
ऐसा माना जाता है कि यहां देवता की मूर्ति लगाई गई जिनकी उपासना में धन या आभूषण तक चढ़ाए जाते थे. शासकों का मानना था कि ऐसे करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस कारण कांगड़ा के इस किले में बहुत ज्यादा धन जमा हो गया|
शासकों ने किया हमला
ऐसा कहा जाता है कि इस खजाने को दबाने के लिए कई करीब 21 कुएं बनाए गए|इन्हें लूटने के लिए कई शासकों ने हमले किए जिसमें महमूद गजनी का नाम भी शामिल है|कई सालों तक खजाने को ढूंढने की कोशिश के बाद कुओं से खजाना लूट लिया गया|इसके बावजूद आज भी ये रहस्य बना हुआ है कि किले में अभी भी खजाना मौजूद है|
किले में 11 गेट और 23 गढ़
इस किले के नजदीक लक्ष्मी नारायण, भगवान महावीर और अंबिका देवी का मंदिर मौजूद है. ये किला बेहद बड़ा है और इसमें 11 द्वार हैं. इसके अलावा कहा जाता है कि इसमें करीब 23 गढ़ है. यहां एक दरवाजा मौजूद है जिसकी चौड़ाई इतनी है कि तीन आदमी एक साथ निकल सकते हैं और इसकी लंबाई करीब 7.5 मीटर है. यहां इसे अंधेरी दरवाजा पुकारा जाता है.
कैसे पहुंचे कांगड़ा फोर्ट
अगर आप कांगड़ा किले का दीदार करने के लिए यहां फ्लाइट से जाना चाहते हैं तो आपको धर्मशाला एयरपोर्ट पहुंचना होगा. यहां से लोकल ट्रांसपोर्ट करके आप सीधे कांगड़ा किले तक पहुंच सकते हैं. वैसे दिल्ली या दूसरी जगहों से आपको सीधे कांगड़ा जिले की बस मिल जाएगी. दिल्ली से कांगड़ा के लिए करीब 13 घंटे लगते हैं|
खुलने का समय
- खुलने का समय :06:00:00 पूर्वाह्न
- बंद करने का समय :06:00:00 अपराह्न
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कुल ₹ 20
₹ 20 – एएसआई द्वारा प्रवेश शुल्क के रूप में और ₹ 0 – एडीआई द्वारा टोल टैक्स के रूप मेंविदेशी आगंतुक:
कुल ₹ 250
₹ 250 – एएसआई द्वारा प्रवेश शुल्क के रूप में और ₹ 0 – एडीआई द्वारा टोल टैक्स के रूप मेंसार्क आगंतुक:
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कुल ₹ 20
₹ 20 – एएसआई द्वारा प्रवेश शुल्क के रूप में और ₹ 0 – एडीआई द्वारा टोल टैक्स के रूप मेंबिम्सटेक आगंतुक:
कुल ₹ 20
₹ 20 – एएसआई द्वारा प्रवेश शुल्क के रूप में और ₹ 0 – एडीआई द्वारा टोल टैक्स के रूप में
नियम एवं शर्तें
- ई-टिकट हस्तांतरणीय नहीं है।
- प्रवेश शुल्क वापसी योग्य नहीं है।
- ई-टिकट रद्द करने की अनुमति नहीं है।
- यह स्मारक सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच आगंतुकों के लिए खुला रहता है।
- आगंतुकों को स्मारक में प्रवेश के समय फोटो पहचान पत्र की मूल प्रति दिखानी होगी।
- स्मारक के अंदर खाद्य पदार्थ ले जाने की अनुमति नहीं है।
- ज्वलनशील/खतरनाक/विस्फोटक वस्तुओं की अनुमति नहीं है।
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