govind dev ji today darshan time:ठिकाना मंदिर गोविंद देवजी जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित है। यह वृंदावन के ठाकुर के साथ मंदिरों में से एक है यहां स्थापित मूर्ति जयपुर के संस्थापक राजा जयसिंह द्वारा वृंदावन से लाई गई थी| ऐसा माना जाता है की मूर्ति की छवि बिल्कुल वैसी ही दिखती है जैसे भगवान कृष्ण ने धरती पर अवतार लेते समय की थी गोविंद देव जी मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा हुआ है जो भक्तों के दिलों को खुशी से भर देता है यहां आने वाला व्यक्ति वास्तव में भगवान का आशीर्वाद पता है
जयपुर के राधे और प्रसिद्ध गोविंद के समय में बदलाव हो गया है अब श्रद्धालु अपने राधे भगवान गोविंद देव जी के नए समय पर दर्शन कर सकेंगे| इसके साथ ही मंदिर में दर्शन के समय के साथ भोग की व्यवस्था में भी परिवर्तन किया गया है| अगर आप भी गोविंद देव जी के मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहे हैं तो आप भी मंदिर के दर्शन का समय जान ले| इसलिए आपको मंदिर में दर्शन करने में सुविधा होगी|
Govind Dev ji Darshan Timing
गोविंद देव जी वृंदावन का निर्माण ई.स. 1590 (सं.1647) में हुआ था। इस मंदिर में श्री रूप गोस्वामी और सनातन गुरु श्री दास जी के देख रेख में मंदिर बनाया गया| गोविंद देव जी मंदिर के निर्माण में पूरा खर्च राजा श्री मानसिंह पुत्र द्वारा श्री भगवान दास मैं उठाया था| जब मुस्लिम बादशाह औरंगजेब ने से नष्ट करने की कोशिश की तो गोविंद देव जी को वृंदावन से जयपुर लाया गया और वह मूल विग्रह जयपुर में है|
Govind Dev Ji Time Table today
मंगला दर्शन: प्रातः 05:00 से 05:15 बजे तक
धूप दर्शन: प्रातः 07:45 से 09:00 बजे तक
श्रृंगार दर्शन: प्रातः 09:30 से 10:15 बजे तक
राजभोग दर्शन: प्रातः 10:45 से 11:15 बजे तक
ग्वाल दर्शन: सायं 05:00 से 05:15 बजे तक
संध्या दर्शन: सायं 05:45 से 06:45 बजे तक
शयन दर्शन: रात्रि 08:00 से 08:15 बजे तक
गोविंद देव जी झांकी का समय
गोविंद देवजी मंदिर की आरती का समय नीचे दिया गया है।
आरती | समय |
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मंगला आरती | सायं 4:30 बजे से प्रातः 5:00 बजे तक |
धूप आरती | सुबह 7:45 से 9:00 बजे तक |
श्रृंगार आरती | 10:15 पूर्वाह्न से 11:00 पूर्वाह्न तक |
राजभोग आरती | सुबह 11:30 से दोपहर 12:00 बजे तक |
ग्वाल आरती | शाम 5:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक |
संध्या आरती | सायं 6:30 से 7:45 तक |
शयन आरती | 8:15 बजे से 8:45 बजे तक |
गोविंद देव जी मंदिर का इतिहास
जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने भगवान विष्णु (श्री मदन मोहन जी, श्री गोपीनाथ जी और श्री गोविंद देवजी) के निर्माण का इतिहास रोचक है इस प्रकार भगवान श्री कृष्ण के दिव्या विग्रह को आततायी शासकों से बचाने और उन्हें पुनः स्थापित करने का इतिहास भी उतना ही प्रेरणादायी है। श्री गोविंद देव जी श्री गोपीनाथ जी और श्री मदन मोहन जी ने विग्रह लगभग 5000 वर्ष पुराने माने जाते हैं|श्री बिजनाभ शासन की समाप्ति के बाद मथुरा मंडल और अन्य प्रांतों पर यक्षों का शासन चला। ज्येष्ठ जाति के भय और उत्पाद के कारण पुरोहितों ने तीनों विग्रहों को भूमि में छिपा दिया।
कई वर्षों तक मुस्लिम शासन के कारण पुजारी और भक्त इस विग्रह को भूल गए| 16OO शताब्दी मैं ठाकुर जी के परम भक्त चैतन्य महाप्रभु ने अपने दो शिष्य के रूप में गोस्वामी और सनातन गोस्वामी को भगवान श्री कृष्ण के लीला स्थलों की खोज के लिए वृंदावन भेजो| श्री कृष्ण के लीला स्थलों की खोज की इस बीच भगवान ऋषिविंद देवजी ने रूप गोस्वामी को स्वप्न में दर्शन दिए और वृंदावन के गोमा पर्वत पर अपने विग्रह को खोजने को कहा| सदियों से भूमि के मैं छिपे भगवान बिगड़े को खोज कर श्री रूप गोस्वामी ने एक झोपड़ी में प्राण प्रतिष्ठा की मुगल शासक अकबर के सेनापति और आमेर के राजा मानसिंह ने उसे मूर्ति की पूजा की थी वर्ष 1590 में वृंदावन में लाल पत्थरों का भव्य मंदिर बनाकर भगवान के विग्रह की स्थापना की गई। मुगल साम्राज्य में इससे बड़ा और इससे बड़ा कोई मंदिर नहीं था।
बाद में उड़ीसा से ही श्री गोविंद देव जी के साथ राधा रानी के की विग्रह की स्थापना की गई मुगल शासक अकबर ने गौशाला के लिए भूमि दे दी थी लेकिन बाद में मुगल शासक औरंगजेब ने गौशाला की भूमि का अधिग्रहण रद्द के तथा ब्रजभूमि के सभी मंदिरों में मूर्तियों को तोड़ने का आदेश दिया| तब पुजारी शिवराम गोस्वामी बस श्रद्धालुओं ने श्री गोविंद देव जी राधा रानी वह अन्य देवी देवताओं के विग्रह हो को आशीर्वाद देकर बन में चले गए| बाद में आमेर के राजा जयसिंह के पुत्र राम सिंह के संरक्षण में यह विग्रह भरतपुर के कार्य में लाए गए। राजा मानसिंह ने आमेर घाटी में गोविंद देव जी की शान की प्राण प्रतिष्ठा करवाई|
Govind Dev ji Live Darshan Today
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