देवी कन्याकुमारी को आज भी है भगवान शिव का इंतजार,इस मंदिर में गिरी थी सती की रीड की हड्डी

kanyakumari mandir darshan:कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है|नारा नहीं बल्कि बात बल्कि वास्तविकता है क्या करना फोन तुम जिसका तीव्रता से आवाज तब होता है|नायास ही उत्तर में हिमालय की पर्वत शृंखलाओं में बसी वैष्णव माता का ध्यान आता है।एक ओर समुद्र तट वासिनी मां तो दूसरी ओर बर्फीली पहाड़ियों पर बसी मां। दोनों माता पार्वती के रूप हैं।कन्याकुमारी देवी में देवी कुमारी अर्थात अब व्हाइट कन्या रूप में है| और उत्तर वैष्णो माता के मंदिर में प्रतिदिन कन्याओं का पूजन होता है|

पूर्व में माता कामाख्या है तो पश्चिम में नासिक में सप्तशृंगी देवी है। एक अदृश्य बंधन उत्तर से दक्षिण, पूर्व से पश्चिम तक देश को, संस्कृति को और हम सबको बांधता है।अरब सागर हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा यह प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है|उतना ही अपने धार्मिक को आध्यात्मिक महत्व के लिए भी है इसका नाम आदि शक्ति देवी पार्वती के कन्या रूप कन्याकुमारी के नाम पर पड़ा है|यहां समुद्र के किनारे उनका एक प्राचीन कालीन मंदिर है|इसे देवी कन्या ,देवी कुमारी और देवी अम्मन मंदिर भी कहते हैं।

इस मंदिर के आसपास तट से अक्सर लहरें टकराती रहती हैं| नाथ से लगता है कि मानव प्रकृति भी आदि शक्ति की आराधना कर रही हो| मंदिर के पास सूर्योदय का दृश्य भी बेहद मनोरम  होता है लगता है कि उगते सूरज की किरणें देवी के मंदिर को सुनहरी आवाज दे रही है|

Kanyakumari Amman Temple Darshan

कन्याकुमारी अम्मन मंदिर ,कन्याकुमारी देवी मंदिर या अरुलमिगु भगवती अम्मन मंदिर दक्षिण भारत के प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है।यह मंदिर भारत के पूरे और दुनिया भर के व्यापक रूप से जाना जाता है|कन्याकुमारी मंदिर भारत के दक्षिण कौन है मैं तीन समुंदरों के संगम पर स्थित है यानी बंगाल की खाड़ी अरब सागर और तमिलनाडु राज्य में हिंद महासागर माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 3000 हजार साल पुराना है|यह मंदिर कुंवारी देवी कन्याकुमारी को समर्पित है|कुंवारी और कुमारी का अर्थ है लड़की|कन्याकुमारी अम्मन मंदिर  का महत्व यह है कि यह 51 शक्ति पीठ में से एक है|इसके अलावा स्वामी विवेकानंद ने वर्ष 1892 में मंदिर का दौरा किया था|

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Kanyakumari Mandir timings

दिनमंदिर दर्शन सत्रदर्शन का समय
दैनिकमंदिर खुलने का समय04:00
दैनिकप्रातः दर्शन का समय04:00 से 12:30 तक
दैनिकमंदिर में प्रवेश का समय12:30 से 16:00 तक
दैनिकसायं दर्शन का समय16:00 से 20:30 तक
दैनिकमंदिर बंद होने का समय20:30

कन्याकुमारी मंदिर पूजा समय

दिनमंदिर पूजा अनुष्ठान/नामपूजा का समय
दैनिकखुलने का समय04:00
दैनिकअभिषेकम05:00
दैनिकदीपरथनई06:00
दैनिकअभिषेकम10:00
दैनिकदीपरथनई13:00
दैनिकदोपहर का समापन समय12:30
दैनिकशाम को खुलने का समय16:00
दैनिकसयारात्चाई दीपरथनाई18:30
दैनिकश्रीबाली20:15
दैनिकयेगांडा दीपरथनई20:25
दैनिकशाम को बंद होने का समय20:30

कन्याकुमारी मंदिर का इतिहास

भारत के 51 शक्ति पीठ में से कन्याकुमारी को भी माना जाता है| माना जाता है कि यहां पर सती की रीढ़ की हड्डी गिरी थी। इसके इतिहास का उल्लेख कई प्राचीन ग्रंथो में मिलता है| देवी कन्याकुमारी की मूर्ति की स्थापना भगवान परशुराम ने की थी| यह मंदिर लगभग 3000 वर्ष पुराना है|परंतु इतिहास के अनुसार वर्तमान मंदिर आठवीं शताब्दी में पांड्या सम्राटों ने बनवाया था, चोला, चेरी, वेनाड और नायक राजवंशों के शासन के दौरान समय-समय पर इसका पुर्ननर्माण हुआ।

यहां के मंदिर स्थापत्य कला इन्हीं शासकों की देन है। मंदिर समुद्र तट से कुछ ऊंचाई पर है| तथा इसके चारों ओर लगभग 12 से 20 फुट की दीवार बनी हुई है| राजा मार्तंड वर्मा (1729 से 1758) के राज्य काल में कन्याकुमारी का इलाका त्रावणकोर राज्य का हिस्सा बन गया था जिसकी राजधानी पद्मनाभपुरम थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद त्रावणकोर राज्य का भारतीय संघ में विलय होने पर वर्ष 1956 में यह तमिलनाडु का एक जिला बन गया। कन्याकुमारी जिले का नाम देवी कन्याकुमारी के नाम पर ही रखा गया है।

कन्याकुमारी मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की है| जिसमें काले पत्थर के खम्भों पर गूढ़ और पेचीदा नक्काशी है। मंदिर पर गुंबद है जिम गणेश सूर्य देव अप्पा स्वामी काल भैरव विजय सुंदरी और बाल सुंदरी आदि देवी देवताओं की मूर्तियां हैं| मंदिर परिसर के मूल -गंगातीर्थम नामक कुआं है जहां से देवी के अभिषेक का जल लाया जाता है। मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व और किसी समय में खुला रहता है परंतु अब प्रवेश उत्तरी द्वारा से किया जाता है|

पूर्व द्वारा वर्ष में केवल 5 बार विशेष तारों के अवसर पर ही खुलता है| पूर्व द्वारा बंद होने के पीछे किंवदंती है कि देवी की नथ का हीरा अत्यंत तेजस्वी था तथा उसकी चमक दूर तक जाती थी। इसे दीप स्तम्भ का प्रकाश समझ कर जहाज इस दिशा में आ जाते और चट्टानों से टकरा जाते थे। एक कथा के अनुसार यह हीरा शेषनाग ने देवी को समर्पित किया था।

Kanyakumari temple timings and dress code

कन्याकुमारी में घूमने के लिए यह सबसे लोकप्रिय जगह है। कन्याकुमारी मंदिर सुबह 4.30 बजे दर्शन के लिए खुलता है और दोपहर 12.30 बजे तक खुला रहता है। यह शाम को 4 बजे से 8 बजे तक फिर से खुलता है। यहाँ आने वाले आगंतुकों को उचित कपड़े पहनने चाहिए जो महिलाओं के लिए सूट और साड़ी के बीच होते हैं ।

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