भारत का एक ऐसा किला इस किले को कोई नहीं जीत पाया कभी नहीं रुकता निर्माण कार्य जाने क्या है रहस्य

Mehrangarh fort booking online:जोधपुर का मेहरानगढ़ किला भारत के प्राचीन किले में से एक है| भारत के समृद्ध साली इतिहास का भी प्रतीक है|देश के सबसे बड़े किलो में से एक है साथ ही बड़ी बात यह है कि आज तक कोई नहीं जीत पाया है इसलिए इस किले को अजय किला भी कहा जाता है|मेहरानगढ़ फोर्ट भारत के सबसे पुराने किलों में से एक है, जो भारत के मजबूत और गौरवशाली इतिहास को खुद में समेटे है| मेहरानगढ़ किले का म्यूजियम राज्य के बेहतरीन और फेमस म्यूजियम में से एक है|

अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाने वाला राजस्थान और इसमें भी अपनी अलग पहचान रखने वाला जोधपुर शहर 565 वर्ष का हो गया है| आज हम आपको जोधपुर किले से मशहूर मेहरानगढ़ किले के बारे में बताएंगे|जो प्रत्येक शहरवासी में एक नई ऊर्जा का संचार करता है. यह मेहरानगढ़ किला अपने आप में शहर की पहचान है तो चलिए आज आपको मेहरानगढ़ किले लिए चलते हैं और बताते हैं इस किले का इतिहास

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जिस तरह भारत में मंदिरों का देश है वैसे ही यह किलो का भी देश है क्योंकि यहां 500 से भी ज्यादा किले हैं| जो देश अलग अलग हिस्सों में स्थित है इनमें से कई के लिए सैकड़ो साल पुराने हैं तो कोई ऐसे भी हैं जिनके निर्माण कार्य के बारे में कोई नहीं जानता|आज हम आपको ऐसे ही के लिए के बारे में बताने जा रहे हैं इसके बारे में कहा जाता है कि वहां से पूरा पाकिस्तान दिख जाता है लेकिन इसके लेकर आठवें द्वार का भेद ही रहस्य में माना जाता है|

इस किले को मेहरानगढ़ दुर्ग या मेहरानगढ़ फोर्ट के नाम से जाना जाता है। राजस्थान के जोधपुर शहर के ठीक बीचो बीच स्थित यह किला करीब 125 मीटर की ऊंचाई पर बना है|15वीं शताब्दी में इस किले की नींव राव जोधा ने रखी थी, लेकिन इसके निर्माण का कार्य महाराज जसवंत सिंह ने पूरा किया।  यह अकेला भारत के प्राचीन और विशाल किलो में से एक है जिसे भारत के समृद्ध साली अतीत का प्रतीक माना जाता है|

आठ द्वारों और अनगिनत बुर्जों से युक्त यह किला ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा है। वैसे तो इस किले के सात ही द्वार (पोल) हैं, लेकिन कहते हैं कि इसका आठवां द्वार भी हैं जो रहस्यमय है। किले के प्रथम द्वार पर हाथियों के हमले से बचाव के लिए नुकीली कीलें लगवाई गई थीं।

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अगर आप जोधपुर किले को देखना चाहते हैं तो उसके लिए आपको सबसे पहले Mehrangarh Fort Jodhpur ticket लेना पड़ेगा|क्योंकि इस किले में प्रवेश करने के लिए आपको सबसे पहले Mehrangarh fort booking online टिकट लेना पड़ेगा|अगर आपने Mehrangarh fort booking online नहीं की होगी तो आप इसके लिए के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते हैं|

मेहरानगढ़ किले का इतिहास

जोधपुर मेहरानगढ़ किले की नहीं 1459 में राव जोधा के शासनकाल के दौरान रखी गई थी। यह तब था जब उन्होंने अपनी राजधानी को मंडोर किले से भकुरचेरिया (पक्षियों का पहाड़) नामक इस चट्टानी पहाड़ी पर एक सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया था।किंवदंतियों  राव जोधा को इस पहाड़ी पर रहने वाले एक साधु चिरैया नाथ जी मजबूर करना पड़ा था| इस उद्देश्य के लिए राम जोधा को एक और अधिक शक्तिशाली करणी माता से मदद मांगनी पड़ी| करणी माता के कहने पर चीरिया नाथजी पहाड़ी से चले गए। लेकिन उन्होंने ऐसा एक श्राप के साथ किया कि राज्य कभी भी समृद्ध नहीं होगा।

चीरिया नाथजी के त्याग के बाद करणी माता ने भानगढ़ किले की आधारशिला रखी| जोधपुर के आसपास की लोक कथाएं में यह भी उल्लेख है कि राव जोधा ने शाप के प्रभाव को कम करने के लिए राम मेघवाल नामक व्यक्ति को दफनाया था| उसे समय यह अनुष्ठान शुभ माना जाता था ऐसा कहा जाता है कि राजा राम मेघवाल मैं स्वेच्छा से ही ऐसा किया था| और बदले मैं उनसे वादा किया गया था कि उनके परिवार की देखभाल की जाएगी| केले की नींव रखने के करीब एक समय बाद राव मालदेव ने इसे और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए इसके द्वारा को मजबूत किया| उसके बाद मेहरानगढ़ किले कई बार राठौरों और मुगलों के बीच स्थानांतरित हुआ।

18वीं शताब्दी में, जब मुगलों को बाहर निकाल दिया गया, तो महाराजा अजीत सिंह ने किले की बागडोर संभाली। इसे मरम्मत की सख्त जरूरत थी। और महाराजा अजीत सिंह ने ही कई महलनुमा अपार्टमेंट और एक विजय द्वार, फतेह पोल बनवाया।किले का इस्तेमाल कई उद्देश्यों के लिए किया जाता था। यह शासकों के लिए एक महल, एक सैन्य अड्डा और क्षेत्रीय कला और संस्कृति का केंद्र था। यह पूजा का स्थान भी था।

20वीं सदी आते-आते शाही परिवार बेहतर, नवनिर्मित उम्मेद भवन महल में चला गया । उसके बाद मेहरानगढ़ किला ज़्यादातर समय खाली रहा।वर्तमान में राठौरों के मुखिया महाराजा गज सिंह द्वितीय इस किले के मालिक हैं। उन्होंने इसे एक संग्रहालय के रूप में विकसित किया और पर्यटकों के लिए खोल दिया।

मेहरानगढ़ किला जोधपुर का समय

दिनसमय
सोमवारसुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
मंगलवारसुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
बुधवारसुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
गुरुवारसुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
शुक्रवारसुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
शनिवारसुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक
रविवारसुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक

Mehrangarh Fort Jodhpur ticket Price

टिकटराशि (रु.)
अंतर्राष्ट्रीय अतिथि (ऑडियो सहित)600
अंतर्राष्ट्रीय अतिथि (छात्र)400
घरेलू मेहमान100
घरेलू मेहमान (वरिष्ठ नागरिक, छात्र, अर्धसैनिक कर्मी)50
फोटोग्राफी परमिट : स्थिर100
फोटोग्राफी परमिट : वीडियो200
लिफ्ट (एकतरफ़ा)50
टूर एस्कॉर्ट शुल्क120
ऑडियो गाइड180
ऑडियो गाइड (रियायती)120

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