भगवान कृष्ण का मंदिर तोड़ने आया मुगल बादशाह हो गया था अंधा जाने फिर क्या हुआ
नाथद्वारा में स्थापित भगवान श्रीनाथजी के विग्रह को मूलरूप से भगवान कृष्ण का ही स्वरूप माना जाता है
इस प्रमुख वैष्णव तीर्थस्थल पर श्रीनाथजी मंदिर में भगवान कृष्ण सात वर्षीय ‘शिशु’ अवतार के रूप में विराजित हैं
नाथद्वारा, उदयपुर से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है नाथद्वारा, भगवान श्रीनाथजी के मंदिर की वजह से देश विदेश में प्रसिद्ध है
मुगल शासक औरंगजेब मूर्ति पूजा का विरोधी था इसलिए उसने अपने शासनकाल में मंदिरों को तोड़ने के आदेश दिए
अनेक मंदिरों की तोडफ़ोड़ के साथ मथुरा जिले में स्थित श्रीनाथ जी के मंदिर को तोड़ने का काम भी शुरू हो गया
मंदिर को ध्वस्त करने के रास्ते से जब औरंगजेब श्री नाथ जी के मंदिर में दाखिल हुआ तो मंदिर के चढ़ते ही उसकी आंखों की रोशनी कम होने लगी
कहा जाता है कि इससे डरकर औरंगजेब ने श्री नाथ जी से अपने बुरे कर्मों की क्षमा मांगी और मंदिर नहीं तोड़ने का निर्णय लिया था
माफी मांगने के बाद उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई और वह अपनी सेना को लेकर वापस लौट गया
ऐसा कहा जाता है कि जब औरंगजेब की मां को इस घटना को पता चला तो उन्होंने श्रीनाथ की मूर्ति के लिए एक हीरा दिया जो आज भी उनकी मुकुट पर सुशोभित है
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