shrinathji temple darshan:राजस्थान किलो और विरासत के रूप में तो विख्यात है| लेकिन राजस्थान में के धार्मिक मंदिर और पवित्र स्थल भी पाए जाते हैं| उनमें से एक अरावली की गोद में बनास नदी के किनारे नाथद्वारा में एक ऐसा तीर्थ स्थल है| इस प्रमुख वैष्णव तीर्थ स्थल पर श्रीनाथजी मंदिर में भगवान कृष्ण शिशु अवतार के रूप में विराजित हैं| औरंगजेब मथुरा जिले में बाल रूप श्रीनाथजी की मूर्ति को तुड़वा नहीं पाया था|
नाथद्वारा श्रीनाथजी धार्मिक और पवित्र तीर्थ स्थल है| जहां पर लोग दूर दूर से दर्शन करने के लिए आते हैं|धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किस मंदिर को के लिए औरंगजेब खुद आया था श्रीनाथ जी की मूर्ति को तुड़वा नहीं पाया था|तब मेवाड़ के राणा द्वारा चुनौती स्वीकारने के बाद यहां गोवर्धनधारी श्रीनाथजी की मूर्ति स्थापित हुई और मंदिर बना|
Nathdwara Temple Online Booking
जग प्रसिद्ध नाथद्वारा स्थित प्रभु श्रीनाथजी मंदिर अपनी की विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध है| यह पुष्टिमार्ग संप्रदाय के प्रधान पीठ हैं| यहां प्रभु श्रीनाथजी की सेवा बाल भाव से होती है| माना यह जाता है कि जब प्रभु श्री नाथ जी ने 7 साल 2 माह की उम्र में गोवर्धन पर्वत उठाया था उसी बाल स्वरूप को श्रीनाथजी में पूजा यहां होती है| यहां प्रभु को दिन में कई बार भोग लगाया जाता है| उसके बीच बीच में दर्शन खुलते हैं दिन भर में श्रीनाथजी भक्तों को आठ बार दर्शन देते हैं| इन्हें मंगला दर्शन, सिंगार दर्शन ,गोपाल दर्शन, राजभोग, उत्थापन दर्शन, भोग दर्शन, आरती दर्शन और शयन के दर्शन के नाम से जाना जाता है|
नाथद्वारा में स्थापित भगवान श्री नाथ जी के विग्रह को मूल स्वरूप से भगवान कृष्ण का ही स्वरूप माना जाता है|राजसमंद जिले में स्थित द्वारा के आसपास का क्षेत्र प्रकृति रूप से बहुत सुंदर और समृद्ध है| यह शहर अरावली पर्वतमाला के पास स्थित है और बनारस नदी किनारे पर बसा हुआ है| नाथद्वारा उदयपुर से मात्र 45 कि की दूरी पर स्थित है| नाथद्वारा भगवान श्री नाथ जी के मंदिर की वजह से देश विदेश में प्रसिद्ध धार्मिक पर्यटक स्थलों के रूप में माना जाता है|
श्रीनाथजी का इतिहास
मुगल शासन औरंगजेब मूर्ति पूजा का विरोधी था| इसलिए उसने अपने शासनकाल में मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया|अनेक मंदिरों की तोड़फोड़ के साथ मथुरा जिले में स्थित श्रीनाथजी के मंदिर को भी तोड़ने का काम शुरू हो गया|इससे पहले की श्रीनाथ जी की मूर्ति को कोई क्षति पहुंचे मंदिर के पुजारी दामोदर दास बैरागी मूर्ति कम मंदिर से बाहर निकल आए|
दामोदरदास वल्लभ संप्रदाय के थे और वल्लभ आचार्य के वंश के थे|उन्होंने बैलगाड़ी में श्रीनाथजी की मूर्ति को रखा और उसके बाद कई राजाओं से आग्रह किया कि श्रीनाथ जी का मंदिर बनाकर उसमें मूर्ति स्थापित कर दें|लेकिन औरंगजेब के दर से किसी ने उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं कियाअंत में दामोदर दास बैरागी ने मेवाड़ के राजा राणा राज सिंह के पास संदेश भिजवाया क्योंकि राजा राज सिंह पहले भी औरंगजेब को चुनौती दे चुके थे|
यह बात 1660 की है जब किशनगढ़ की राजकुमारी चारुमति से विवाह करने का प्रस्ताव औरंगजेब ने भेजा तो चारुमति ने साफ इनकार कर दिया| तब रातों रात राणा राज सिंह को संदेश भिजवाया गया| राणा राज सिंह ने बिना कोई देरी किए चारुमति से किशनगढ़ में विवाह किया| औरंगज़ेब राज सिंह को अपना शत्रु मारने लगा| यह दूसरा मौका था जब राणा राज सिंह ने खुलकर औरंगजेब को चुनौती दी और कहा कि उनके रहते हुए बैलगाड़ी में रखी श्रीनाथ की मूर्ति को कोई छू तक नहीं पाएगा| मंदिर तक पहुंचने से पहले औरंगजेब को एक लाख राजपूत से निपटना होगा|
कोटा के पास रखी हैं श्रीनाथजी की पादुकाएं
उसे समय श्रीनाथ जी की मूर्ति बैलगाड़ी में जोधपुर के पास चौपासनी गांव में थी और चौपासनी गांव मैं कई महीने तक बैलगाड़ी में ही श्रीनाथजी की मूर्ति की उपासना होती रही|यह चौपासनी गांव अब जोधपुर का हिस्सा बन चुका है और इस स्थान पर यह बैलगाड़ी खड़ी थी वहां आज भी श्रीनाथ जी का एक मंदिर बनाया गया है|बताते चले कि कोटा से 10 कम दूरी पर श्रीनाथजी की चरण पादुका है इस समय आज भी यहां पर रखी हुई है|उसे स्थान को चरण चौकी के नाम से जाना जाता है|
shrinathji temple darshan time
यहां श्रीनाथजी मंदिर नाथद्वारा के मंदिर खुलने और बंद होने के समय का विवरण दिया गया है।
दर्शन का समय | समय |
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प्रातः दर्शन का समय | सुबह 5:30 से दोपहर 12:30 तक |
सायं दर्शन का समय | सायं 4:00 बजे से 8:30 बजे तक |
श्रीनाथजी मंदिर आरती का समय
आरती का समय | समय |
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मंगला आरती | 05:30 पूर्वाह्न से 06:15 पूर्वाह्न तक |
श्रृंगार आरती | प्रातः 07:30 से 08:00 बजे तक |
ग्वाल आरती | 09:05 पूर्वाह्न से 09:20 पूर्वाह्न तक |
राजभोग आरती | 11:15 पूर्वाह्न से 11:55 पूर्वाह्न तक |
उत्थापन आरती और भोग | 03:45 अपराह्न से 04:00 अपराह्न तक |
आरती दर्शन | 04:30 अपराह्न से 05:55 अपराह्न तक |
शयन आरती | सायं 07:00 बजे से सायं 07:45 बजे तक |
Nathdwara temple Darshan online booking
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