1947 में गुजरात के तलगाजरडा गाँव में जन्मे मोरारी बापू आज देश-विदेश में रामकथा के सबसे प्रिय वक्ताओं में से एक हैं।
उनकी मधुर वाणी, भावपूर्ण अभिव्यक्ति और गहन आध्यात्मिक ज्ञान श्रोताओं को राम-भक्ति की ओर आकर्षित करते हैं।
उनके दादाजी, त्रिभोवनदास, उन्हें रामचरितमानस की चौपाइयाँ सिखाते थे। 14 वर्ष की आयु में उन्होंने पहली बार रामकथा का पाठ किया
14 वर्ष की आयु में बापू ने पहली बार तलगाजरडा में चैत्रमास 1960 में एक महीने तक रामायण कथा का पाठ किया।
मोरारी बापू (Morari Bapu),का पूरा नाम मोरारीदास प्रभुदास हरियाणी है, एक प्रसिद्ध भारतीय कथावाचक और प्रेरक वक्ता हैं।
उन्होंने 1966 में 19 साल की उम्र में कथावाचन शुरू किया और तब से वे दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित कर चुके हैं।
छह भाइयों और दो बहनों के परिवार में प्रभुदास बापू हरियाणी और सावित्री बेन हरियाणी के घर हुआ था।
मोरारी बापू का विवाह श्रीमती नर्मदाबेन हरियाणी से हुआ।
उनके चार बच्चों में तीन बेटियाँ और एक बेटा है। पहले वे परिवार के पोषण के लिए रामकथा से आने वाले दान को स्वीकार कर लेते थे
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