राजस्थान के जोधपुर शहर का मेहरानगढ़ किला ऐतिहासिक है. यह किला करीब 125 मीटर की ऊंचाई पर बना है
15वीं शताब्दी में इस किले की नींव राव जोधा ने रखी थी, लेकिन इसके निर्माण का कार्य महाराज जसवंत सिंह ने पूरा किया
इस किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे और जालीदार खिड़कियां हैं, जिनमें मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिलेह खाना और दौलत खाना बेहद खास हैं
मान्यता है कि साल 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान जब सबसे पहले जोधपुर को टारगेट बनाया गया, तब चामुंडा माता की कृपा से इस शहर को कुछ नहीं हुआ
73 मीटर के दिल्ली के कुतुब मीनार से भी ऊंचा ये किला 120 मीटर की चट्टान पहाड़ी पर बना है. इस किले आठ द्वारों और अनगिनत बुर्जों से युक्त यह किला ऊंची-ऊंची दीवारों से घिरा है
किले के पास ही चामुंडा माता का मंदिर है, जिसे राव जोधा ने 1460 ईस्वी में बनवाया था. नवरात्रि के दिनों में यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है
इस किले की नींव डालने वाले जोधपुर के शासक राव जोधा चामुंडा माता के भक्त थे और वो जोधपुर के शासकों की कुलदेवी भी रही हैं.
यह विशाल किला 1200 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। यह 5 किलोमीटर में फैला हुआ है और इसकी दीवारें 120 फीट ऊँची हैं। मेहरानगढ़ किले के विशाल प्रांगणों और महलों में 7 बड़े द्वार हैं।
किले के एक हिस्से को संग्राहलय में बदल दिया गया, जहां शाही पालकियों का एक बड़ा संग्रह है। इस संग्रहालय में 14 कमरे हैं जो शाही हथियारों, गहनों और वेशभूषाओं से सजे हैं।
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