इस वर्ष रथ यात्रा पर पुष्य नक्षत्र, हर्षण योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और शिववास जैसे शुभ और दुर्लभ संयोग बन रहे हैं
ओडिशा के पुरी में भगवान श्रीकृष्ण (जगन्नाथ), बलभद्र (जगन्नाथ के बड़े भाई) और सुभद्रा (जगन्नाथ की बहन) का मंदिर है।
हर साल भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया के दिन नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं
इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं और भक्त मुख्य मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक इस रथ को खींचते हैं
भगवान जगन्नाथ के रथ नंदीघोष की ऊंचाई 45.6 फिट, बलरामजी के रथ तालध्वज की ऊंचाई 45 फिट और सुभद्राजी के रथ दर्पदलन की ऊंचाई 44.6 फिट होती है।
रथयात्रा में सबसे आगे बलरामजी का रथ, उसके बाद बीच में देवी सुभद्रा का रथ और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का रथ होता है।
जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव की शुरुआत
12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुई थी
ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दर्शन मात्र से 1000 यज्ञ करने जितना फल प्राप्त होता है
हर 12 साल के बाद जगन्नाथ मंदिर में भगवान की पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं
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