पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद गणना के लिए खोला गया
साल 1978 में आखिरी बार रत्न भंडार में रखे गए खजाने और आभूषणों की गिनती हुई थी. उसके बाद से भंडार के खजाने की गिनती नहीं हुई
जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार या कोषागार मंदिर के उत्तरी तरफ बना है. भंडार की लंबाई 8.79 मीटर, चौड़ाई 6.74 मीटर और ऊंचाई 11.78 मीटर है
रत्न भंडार के अंदर भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के बेशकीमती कपड़े और आभूषण रखे गए हैं
भंडार में सालों से जगन्नाथ मंदिर को मिलने वाला चढ़ावा- जिसमें सोना, चांदी, हीरे-मोती और जेवरात जैसी चीजें भी रखी गई हैं
पुरी के जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार 46 साल बाद गणना के लिए खोला गया. साल 1978 में आखिरी बार रत्न भंडार में रखे गए खजाने और आभूषणों की गिनती हुई थी
जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार दो हिस्सों में बंटा हुआ है. पहला है बाहरी चैंबर और दूसरा भीतरी चैंबर. दोनों चेंबर के अंदर मंदिर के खजाने रखे हुए हैं,
उन्हें यहां मोटे कांच की तीन और लोहे की एक (6.50 फुट ऊंची, 4 फुट चौड़ी) अलमारियां मिलीं।
इसके अलावा 3 फीट ऊंचे और 4 फीट चौड़े लकड़ी के दो संदूक और एक लोहे का संदूक था। सभी के अंदर कई सारे बॉक्स रखे हुए थे, जिनमें सोना था।
एक सर्वे के अनुसार राज्य सरकार का कहना था कि रत्न भंडार में 149 किलोग्राम से ज्यादा सोने के गहने और 258 किलोग्राम चांदी के बर्तन थे।
वहीं 12,831 भारी सोने के आभूषण थे, जिनमें कीमती पत्थर भी जड़े हुए थे। साथ ही 22,153 भारी चांदी के बर्तन और कई दूसरे सामान भी थे
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