Pratapgarh fort online ticket booking:महाराष्ट्र के सातारा जिले में मौजूद है प्रतापगढ़ किला महाराष्ट्र के प्रमुख हिल स्टेशन महाबलेश्वर से 24 कि की दूरी पर स्थित है आज लोकप्रिय स्थल बन चुका है लेकिन किसी जमाने में यह छत्रपति शिवाजी महाराज और अफज़ल खां के भयंकर युद्ध का साक्षी रह चुका है|महाराष्ट्र घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो प्रतापगढ़ किले की सर जरूर करें आईए जानते हैं प्रतापगढ़ किला कहां पर है का इतिहास रोचक तथ्य
सतारा जिले से प्रतापगढ़ किला समुद्र तल से 3500 एम की ऊंचाई पर स्थित है|महाबलेश्वर हिल स्टेशन से महज 24 किमी की दूरी पर स्थित होने की वजह से पिछले कुछ सालों में ये एक बहुत ही लोकप्रिय टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन चुका है जहां लोग ट्रैकिंग के लिए आते हैं|छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और पराक्रम की कहानी व्यायाम करने वाला यह किला किन मायनों में खास है जानेंगे इसके बारे में।
Pratapgarh fort online ticket booking
प्रतापगढ़ किले में हर साल काफी संख्या में लोग ट्रैकिंग करते हैं और इसे देखने के लिए आते हैं| खास तौर पर मानसून के मौसम में इस किले में पर्यटक की चहल पहल बढ़ जाती है| छत्रपति शिवाजी की जयंती के मौके पर यहां पर कॉफी उत्सव मनाया जाता है|
शिवाजी ने अपने जीवन काल में कई किलो का निर्माण कराया जिसमें से प्रतापगढ़ का किला भी शामिल है उन्होंने इसके लिए का निर्माण 1656 में करवाया था| किले के अंदर चार जिले हैं गर्मी के मौसम में यह जिले तो सूख जाती है लेकिन मानसून के समय जी उठाती है| किले के शीर्ष पर भवानी का मंदिर है जो शिवजी की मां भवानी के प्रति भक्ति को दर्शाता है|
अगर आप प्रतापगढ़ किले में आ रहे हैं तो आपको इसमें प्रवेश करने के लिए Pratapgarh fort online ticket booking करनी होगी| अगर आप टिकट बुकिंग नहीं करते हैं तो आप प्रतापगढ़ के लिए के अंदर प्रवेश नहीं कर सकते| हम आपको बताएंगे कि आप किस प्रकार किले के लिए ऑनलाइन टिकट खरीद सकते हैं और Pratapgarh fort online ticket booking price क्या है|
प्रतापगढ़ किले का इतिहास
आसपास पहाड़ों और गहरी घाटी वाले महाबलेश्वर के नज़दीक प्रतापगढ़ किले की आन, बान, शान छत्रपति शिवाजी महाराज और अफज़ल खां की मुलाकात के समय से ही बरकरार है। मुलाकात से अफज़ल खां, शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुआ था और उनकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था लेकिन मौका पाते ही उसने शिवाजी के ऊपर पीछे से वार कर दिया। कपड़ों के अंदर लोहे का कवच होने की वजह से उन्हें किसी तरह की चोट नहीं आई थी। इसके जवाब में शिवाजी महाराज ने हाथों में पहने बाघनाख ने उस पर वार कर उसका पेट चीर दिया था।
किले की बनावट
प्रतापगढ़ किला शिवाजी की वीरता का प्रतीक है। किले के अंदर ही एक दूसरा किला भी था। दो भागों में बंटा इसका निचला किला 320 मीटर लंबा और 110 मीटर चौड़ा है वहीं ऊपरी किला 180 मीटर लंबा है। ऊपरी किले में महादेव का मंदिर है मंदिर के बिल्कुल सामने विशाल दरबार का आयोजन किया जाता था जिससे मंदिर के सामने बैठकर कोई किसी भी प्रकार का झूठ न बोल सके
भवानी मंदिर
ऐसा माना जाता है कि सन् 1661 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर में 50 फीट लंबे, 30 फीट चौड़े और 12 फीट ऊंचे खंभे लगे हैं। मंदिर में प्रवेश करने के लिए नगाड़ा हॉल से होकर गुजरना पड़ता है जहां पर एक बड़ा ड्रम रखा हुआ है जिसकी गूंज खास उत्सवों पर सुनने को मिलती है। यहां मराठा सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने भाले और भी दूसरे तरह के औज़ार देखन को मिलेंगे। मंदिर के अंदर आठ भुजाओं वाली देवी भवानी की साड़ी में मूर्ति विराजमान है। मंदिर में छत्रपति शिवाजी की तलवार भी रखी हुई है जिससे उन्होंने अकेले प्रतापगढ़ की लड़ाई में अफज़ल खां की सेना के 600 सैनिक मारे थे।
महाबलेश्वर में कर सकते हैं एन्जॉय
प्रतापगढ़ फोर्ट देखना बेशक एक अच्छा एक्सपीरियंस साबित होगा लेकिन यहां आकर महाबलेश्वर नहीं घूमा तो बहुत कुछ मिस करने जैसा होगा। वीकेंड में आप यहां रूककर पहाड़ों और घाटों और आसपास के खूबसूरत नज़ारों को एक्सप्लोर कर सकते हैं। वेना लेक में बोटिंग का मजा ले सकते हैं। इसके अलावा आर्थर सीट भी बहुत ही रोमांचक जगह है। इस जगह का नाम आर्थर सीट इसलिए पड़ा क्योंकि यहां सर आर्थर मालेट बैठकर सावित्री नदी को देखा करते थे, जिसमें एक घटना के दौरान उनकी पत्नी और बच्चे खो गए थे। विल्सन प्वाइंट महाबलेश्वर का सबसे ऊंचा प्वाइंट है जहां से उगते और ढलते सूरज को देखना वाकई यादगार होता है।
Pratapgarh Fort Mahabaleshwar Entry Fee
कोई प्रवेश शुल्क नहीं
Pratapgarh Fort Mahabaleshwar Timings
दिन | समय |
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सोमवार | सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक |
मंगलवार | सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक |
बुधवार | सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक |
गुरुवार | सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक |
शुक्रवार | सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक |
शनिवार | सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक |
रविवार | सुबह 10:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक |