Gaurav Krishna Goswami Bhagwat Katha Fees:गौरव कृष्ण गोस्वामी आध्यात्मिक विजन और एक भक्ति गायक हैं| वह आध्यात्मिक गुरु आचार्य श्री मृदुल कृष्ण स्वामी के पुत्र हैं संत स्वामी हरिदास के वंशज हैं|वह युवा अन्य न्यू के साथ एक आध्यात्मिक युवा आइकॉन है जो आध्यात्मिक संगीत और प्रेरणादायक प्रवचन में अनूठी और आकर्षक शैली को बनाते हैं|तो आईए जानते हैं Gaurav Krishna Goswami Katha schedule 2024 क्या है|नेट वर्थ कांटेक्ट नंबर के बारे में भी संपूर्ण जानकारी देंगे|
गौरव कृष्ण गोस्वामी जी(Gaurav krishna Goswami ji) श्री स्वामी हरिदासी सम्प्रदाय के आध्यात्मिक वंश परंपरा के अंतर्गत आते है। श्री स्वामी हरिदास जी के सम्प्रदाय की 7th Generation में श्रद्धेय आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी(Gaurav krishna goswami ji) का जन्म हुआ . इस सम्प्रदाय में कई पीढ़ियों से अध्यात्म का भक्ति का प्रचार किया जा रहा है। इन्होने 18 साल की उम्र में अपने वंश का प्रभार संभाला, और इनको ये ज्ञान ये जिम्मेदारी उनके पूर्वजो द्वारा विरासत में मिली। जिसे ये बहुत ही अच्छी तरीके से निभा रहे है। गौरव कृष्ण गोस्वामी जी कथा 18 साल से कर रहे है।
गौरव कृष्ण गोस्वामी का जीवन परिचय
गौरव कृष्ण गोस्वामी का जन्म 6 जुलाई 1984 को हुआ था| दिव्या शास्त्र का पाठ श्रीमद् भागवत और शास्त्रीय ईद के देवी प्रभाव से यह स्पष्ट था कि गौरव कृष्ण जी इन दोनों जिम्मेदारियां को अत्यंत समर्पण के साथ निभाएंगे। 18 साल की छोटी उम्र में उन्होंने 20,000 से अधिक भक्तों की उपस्थिति में अपना पहला शास्त्र प्रवचन सुनाया। उन्होंने अपनी शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से प्राप्त की और संस्कृत भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया|और व्याकरण आचार्य की पवित्र उपाधि प्राप्त की। अपनी शिक्षा के अलावा उन्होंने पहली बार व्यास पीठ पर बैठने से पहले अपने पवित्र गुरु और पिता पूज्य श्री मृदुल शास्त्री जी महाराज से 108 साप्ताहिक भागवत कथाएं भी सुनीं।
श्रद्धेय आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी को आदर्श युवा आध्यात्मिक गुरु पुरुस्कार 20 जनवरी 2018 को मिला। जो की बहुत ही बड़ी उपलब्धि है और युवाओ के भविष्य के लिए किया गए कर्तव्य का सच्चा फल है।
जन्म स्थान और परिवार :-
श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी महाराज का जन्म 6 जुलाई 1984 को भारत के श्री धाम वृंदावन में श्री मृदुल कृष्ण गोस्वामीजी( Mridul krishna goswami ji) और श्रीमती वंदना गोस्वामीजी के घर में हुआ था। वो परिवार जिनको श्री बांके बिहारी जी आशीवार्द मिला हुआ है उनकी सभी पीढ़िया संगीत में बहुत ही कुशल होंगी। इनका जन्म एक बहुत ही पवित्र परिवार में हुआ।
15 वीं शताब्दी में, वृंदावन की इस पवित्र भूमि में, एक दिव्य संत स्वामी श्री हरिदास जी महाराज ने अवतार लिया था। स्वामी जी महाराज के इस परिवार में, असंख्य दिव्य आत्माएं पैदा हुई हैं जो संस्कृत की भाषा और श्रीमद्भगवत पुराण की भाषा में विशेष ज्ञान रखते हैं।
- बचपन से ही बढे सम्मानित, दिव्य अंतर्दृष्टि और आध्यात्मिक दर्शन में उत्सुक थे।
- जिस उम्र युवा इस दुनिया में खुद के लिए जीते है और मौज मस्ती करते है। उस उम्र में वो युवा पीढ़ियों को कैसे अध्यात्म से जोड़ना है उसके लिए काम कर रहे थे
- भगवान के प्रति उनके पूर्ण समर्पण ने उन्हें ज्ञान और दिव्य आनंद की खोज के लिए हमेंशा प्रेरित किया।
- उनके पिता आचार्य मृदुल कृष्ण शास्त्रीजी ने उन्हें सर्वशक्तिमान की स्तुति के साथ दिव्य आनंद और प्रसन्नता फैलाने की ज़िम्मेदारी प्रदान की।
- श्री गौरव कृष्णजी महाराज ने भगवान कृष्ण के प्रति पूर्ण भक्ति और प्रेम के साथ अपने कदमों का अनुसरण किया और विभिन्न प्राचीन ग्रंथों और वेदों को सीखना प्रारम्भ किया।
निजी जीवन:-
उनकी विवाह में रूचि नहीं थी पर पिता जी के समझने पर वो समझ गए। उनके वंश को विरासत में बिहारी जी के नाम गान और श्रीमद्भागवत जी का प्रसार का कार्य मिला है जिसकी बागडोर हर पीढ़ी को संभालनी है और उनका भी यही कर्तव्य बनता है। श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी अब विवाहित हैं। वह प्यारी बेटी राध्या और सिया गोस्वामी के पिता हैं और उनके पुत्र नीरव मृदुल गोस्वामी हैं।
Gaurav Krishna Goswami Katha schedule 2024
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