700 एकड़ में फैला यह किला तीन रानियों के जौहर का गवाह रहा है हिंदू देवताओं के नाम पर हैं दरवाजे

chittorgarh fort ticket online:राजस्थान अपनी संस्कृति और विरासत के लिए दुनिया भर में जाना जाता है| यहां कहीं ऐसे किले मौजूद है जिन्हें देखने दूर से लोग यहां आते हैं चित्तौड़गढ़ का किला इनमें से एक किला है जो भारत का सबसे बड़ा किला कहलाता हैं|इस किले का एक समृद्ध इतिहास रहा है जिसे जानने लोग हर साल चित्तौड़ आते हैं आईए जानते हैं इस किले की खासियत और इतिहास के बारे में

चित्तौड़गढ़ किले में साथ द्वारा हैं कहां की एकमात्र ऐसा किला है जिसके 7 दरवाजे हैं|जिसके 7 दरवाजे भगवान के नाम पर हैं| यह दुर्ग किला 7वीं से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक खास केंद्र था|700 में फैले और 500 फुट की ऊंचाई वाले पहाड़ी पर स्थित इस किले की बनावट बहुत ही शानदार है|भारत का सबसे लंबा किला भी कहा जाता है| इसी वजह से राजस्थान का एक महत्वपूर्ण किला है| इस किले में मजबूत प्रवेश द्वार बुर्ज, महल, मंदिर और जलाशय हैं, जो राजपूत वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं|चित्तौड़ दुर्ग को राजस्थान का गौरव एवं राजस्थान के सभी दुुर्गों का सिरमौर भी कहते हैं

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अगर बात करें भारत के मौजूद ऐतिहासिक धरोहर की करें तो राजस्थान का नाम सबसे पहले आता है| अपनी परंपराओं और संस्कृत के लिए मशहूर यह राज्य दुनिया भर में पर्यटन का एक प्रमुख स्थल है| यहां हर साल भारी संख्या में लोग घूमने आते हैं राजस्थान में कहीं ऐसे किले मौजूद है जो अपनी खूबसूरती और इतिहास के लिए जाने जाते हैं| चित्तौड़गढ़ किला यहां ऐसा ही किला है|जो दुनिया भर से प्रेरकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है यह किला आज भी अपनी विरासत और संस्कृति को समझे हुए हैं जानते हैं इसके लिए के गौरवशाली इतिहास के बारे में

अगर आप चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश करना चाहते हैं इसके लिए आपको सबसे पहले Chittorgarh fort ticket online ticket बुकिंग करना होगा|चित्तौड़गढ़ किला देखने में काफी खूबसूरत है देखने के लिए लोग दूर दूर यहां पर आते हैं इस किले में प्रवेश करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको ऑनलाइन टिकट लेना होगा| तभी आप चित्तौड़गढ़ किले में एंट्री कर सकते हैं|तो आईए जानते हैं आप किस प्रकार प्ले के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग कर सकते हैं और साथ में बताएंगे कि किले के लिए क्या टिकट प्राइस और क्या समय रखा गया है|

चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले के साथ दरवाजे हैं| इसकी मदद से आपके लेकर अंदर प्रवेश कर सकते हैं| चित्तौड़गढ़ किला  7वीं से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक प्रमुख केंद्र रहा था। बात करें इसके लिए के निर्माण की कोई सटीक जानकारी नहीं है किस कब और किसने बनाया| हालांकि ऐसा माना जाता है कि मौर्यवंशीय राजा चित्रांगद मौर्य ने सातवीं शताब्दी में इस किले को बनवाया था। साथ ही कई लोगों का ऐसा भी मानना है कि इसे महाभारत काल में पांडवों ने बनाया गया था। हालांकि, इसे लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं है।

इस किले में मजबूत प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर और जलाशय हैं, जो राजपूत वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूने हैं. इसके अलावा किले में एक शानदार  स्विमिंग पूल भी मौजूद है|चित्तौड़गढ़ किले (Chittorgarh Fort) में सात दरवाजे हैं, जिनके नाम हिंदू देवताओं के नाम पर रखे गए हैं. इनके नाम हैं: पैदल पोल, भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और अंत में राम पोल. सभी सात दरवाजों से इस किले के अंदर जा सकते हैं

भारत का सबसे विशाल किला

चित्तौड़गढ़ का किला भारत का सबसे विशाल किला है| यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है| जो भीलवाड़ा से कुछ किलोमीटर दूर दक्षिण में है यह एक विश्व विरासत स्थल है| मालूम हो कि चित्तौड़ मेवाड़ की राजधानी थी|चित्तौड़ के दुर्ग को 21 जून, 2013 में युनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया. चित्तौड़ दुर्ग को राजस्थान का गौरव एवं राजस्थान के सभी दुुर्गों का सिरमौर भी कहते हैं|

इसी किले में हुआ था पहला जौहर

यह किला कई मायनों में खास है। अपने समृद्ध इतिहास के साथ ही यह किला अपने पहले जौहर का गवाह भी रहा है। रावल रतनसिंह के शासनकाल में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान सन 1303 में रानी पद्मिनी ने अपनी 16 हजार दासियों के साथ यहां पहला जौहर किया था। वहीं, राणा विक्रमादित्य के शासनकाल में सन् 1534 ई. में गुजरात के शासक बहादुर शाह के आक्रमण के समय में रानी कर्णवती ने अपनी 13 हजार दासियों के साथ दूसरा जौहर किया था। जबकि तीसरा जौहर राणा उदयसिंह के शासन में अकबर के आक्रमण के समय सन 1568 में पत्ता सिसौदिया की पत्नी फूल कंवर के नेतृत्व में हुआ था।

इन वजहों से भी खास है यह किला

इस किले में एक विजय स्तंभ भी मौजूद हैं, जो 47 फुट वर्गाकार आधार और 10 फुट की ऊंचाई वाले आधार पर बना 122 फुट (करीब नौ मंजिल) स्तंभ है। इसे महाराजा कुम्भा ने बनवाया था और इसका निर्माण कार्य 1440 ई. में शुरू होकर 1448 में पूरा हुआ था। इस किले में जलाशय के बीचोंबीच पद्मिनी महल स्थित है। ऐसा मान्यता है कि जब अलाउद्दीन खिलजी ने शीशे में रानी की झलक देखी थी, तो वह इसी महल में मौजूद थीं। किले में राणा कुम्भा का महल भी मौजूद है। माना जाता है कि रानी पद्मिनी ने इसी महल में जौहर किया था।

Chittorgarh Fort timings and entry fee

चित्तौड़गढ़ किले का समय सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक है। चित्तौड़गढ़ किले के लाइट और साउंड शो के लिए आने का समय सुबह 7 बजे से शाम 8 बजे तक है। वयस्कों के लिए चित्तौड़गढ़ किले में प्रवेश शुल्क 50 रुपये है जबकि बच्चों के लिए प्रवेश टिकट 25 रुपये है। फतेह प्रकाश पैलेस संग्रहालय के खुलने का समय सुबह 9.45 बजे से शाम 5.45 बजे तक है। पूरे किले परिसर को देखने में लगभग 2-3 घंटे लगेंगे। सुनिश्चित करें कि आपके पास पर्याप्त समय हो और आरामदायक जूते पहनें क्योंकि आपको बहुत चलना होगा।

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चित्तौड़गढ़ किले में ऑनलाइन टिकट बुकिंग के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर क्लिक करिए|

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