Grishneshwar Temple Online Booking:घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान भोलेनाथ अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का प्रतीक है|घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ कॉस्मेटिक है हिंदू भक्तों के लिए 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम आता है|कहा जाता है जो भी भक्त घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग इस ज्योतिर्लिंग में सच्चे मन से आता है उसकी संतान सुख की कामना पूरी होती है| जानते हैं कैसे पड़ा घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम महत्व और रोचक बातें
घृष्णेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे आखिर ज्योतिर्लिंग मैं आता है|भगवान शिव के लिए मंदिर पूरे भारतवर्ष में फैले हुए हैं अपना अपना महत्व है भारत के हर कोने में एक ज्योतिर्लिंग बसा हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में है|महाराष्ट्र में तीन ज्योतिर्लिंग है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग,घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है|घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में Grishneshwar Temple Online Booking जानकारी जानते हैं|
Grishneshwar Temple Online Booking
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास इनमें से एक स्थान है जहां पर सिर्फ खुद आए थे|इसलिए इस मंदिर में रोजाना हजारों लोग आते हैं इसलिए घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग प्रबंधन कमेटी के द्वारा Grishneshwar Temple VIP Darshan सुविधा था की गई है|विशेष दर्शन उन भक्तों के लिए है जो प्रत्यक्ष दर्शन अभिषेक और विशेष पूजा करना चाहते हैं|
अगर आप घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास आने का सोच रहे हैं तो हम आपको बताना चाहते हैं कि आप मंदिर आने से पहले Grishneshwar Temple VIP Darshan Booking करवा ले|क्योंकि इस मंदिर में रोजाना हजारों श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं|इसकी वजह से मंदिर में काफी भीड़ होती है अगर आपने घुष्मेश्वर मंदिर के लिए ऑनलाइन टिकट बुक करवाया होगा तो आप आसानी से दर्शन कर सकते हैं|Grishneshwar Temple Online Booking से आपको लंबी लाइनों में लगा नहीं पड़ेगा| आप जल्दी से घुष्मेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन कर सकेंगे|
घृष्णेश्वर मंदिर दर्शन का समय
सुबह मंदिर खुलने का समय – सुबह 5:30 बजे
शाम को मंदिर बंद होने का समय – रात 9:30 बजे
श्रावण मास में घृष्णेश्वर मंदिर के दर्शन का समय
मंदिर खुलने का समय सुबह- 3:00 बजे
रात्रि में मंदिर बंद होने का समय – रात्रि 11:00 बजे
घृष्णेश्वर मंदिर आरती का समय (ग्रीष्मकालीन)
मंगल आरती – प्रातः 4:00 बजे
जलहरी सघन – प्रातः 08:00 बजे
महाप्रसाद – दोपहर 12:00 बजे
जलहरी सघन – शाम 4:00 बजे
शाम की आरती – शाम 7:30 बजे
रात्रि आरती – रात्रि 10:00 बजे
घृष्णेश्वर मंदिर आरती का समय (शीतकालीन)
मंगल आरती – प्रातः 4:00 बजे
जलहरी सघन – प्रातः 08:00 बजे
महाप्रसाद – दोपहर 12:00 बजे
जलहरी सघन – शाम 4:00 बजे
शाम की आरती – शाम 5:40 बजे
रात्रि आरती – रात्रि 10:00 बजे
घृष्णेश्वर मंदिर अभिषेक का समय
अभिषेक के लिए सुबह का समय – सुबह 6:00 बजे से 11:00 बजे तक
अभिषेक के लिए दोपहर का समय – दोपहर 1:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ की अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का प्रतीक है| उसी के नाम पर इस शिवलिंग का नाम घुष्मेश्वर रखा गया यहां मौजूद सरोवर जिसे शिवालय के नाम से भी जाना जाता है उसके दर्शन किए बिना ज्योतिर्लिंग की यात्रा संपन्न नहीं होती| इस ज्योतिर्लिंग की ऐसी मान्यता है कि जो भी नहीं संतान दंपत्ति सूर्य उदय से पूर्व इस शिवालय के सरोवर दर्शन के बाद घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है उसकी संतान की प्राप्ति कामना जल्दू पूरी होती है|
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की रोचक जानकारी
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पूर्वी मुखी है सर्वप्रथम देव उनकी प्रार्थना आराधना करते हैं| मान्यता है कि सूर्य के जरिए पूजे जानने के कारण घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दैहिक, दैविक, भौतिक तापों का धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का सुख प्रदान करते हैं| आदि शंकराचार्य ने कहा था कि मैं जो भी भक्त इस ज्योतिर्लिंग का स्मरण उसके स्मरण मात्र से ही सभी रोग दोष दुख से मुक्ति मिलेगी|
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
दक्षिण देश में देवगिरी पर्वत पर सुधर्मा नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी सुदेहा के साथ निवास करता था. इनकी कोई संतान नहीं थी| जिसके कारण दोनों चिंतित रहते थे ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पति का सुदेहा ने छोटी बहन घुष्मा करवा दिया घुष्मा शिव जी की परम भक्त थी| भगवान शिव की कृपा से उसे एक स्वस्थ पुत्र की प्राप्ति हुई| लेकिन लेकिन घुष्मा का हंसता खेलता परिवार देखकर सुदहा को अपनी बहन से ईर्ष्या होने लगी| क्रोध में आकर घुष्मा की संतान की हत्या कर उसे कुंड में फेंक दिया|
घुष्मा को जब इस बात का पता लगा तो वह बहुत दुखी हुआ शिव की पूजा में रोज की भांति रोज करती रही| महादेव उसकी भक्ति से भेद प्रसन्न हुए और शिव जी ने घुष्मा पुत्र द्वारा जीवित हो गया|घुष्मा की प्रार्थना पर भगवान शिव ने इस स्थान पर गन्ने का वरदान दिया और कहां तुम्हारे ही नाम से घुश्मेश्वर कहलाता हुआ सदा यहां निवास करूंगा| प्राचीन काल में घुष्मा 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की जिससे शिव बेहद प्रसन्न हुए|यहां मनोकामना पूरी होने पर 108 नहीं बल्कि 101 परिक्रमा की जाती है|
Grishneshwar Temple Rudrabhishek
- अभिषेकम का समय प्रातःकाल प्रातः 06:00 बजे से प्रातः 11:00 बजे तक
- दोपहर अभिषेकम पूजा दोपहर 1:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक चली
- अभिषेकम समारोह देखने के लिए प्रवेश शुल्क रु. 551/-
Grishneshwar Temple VIP Darshan Booking
- Grishneshwar Temple Special Darshan Booking वेबसाइट नहीं है|
- घृष्णेश्वर मंदिर मैं सभी दर्शन पूरी तरह निशुल्क है|
- यदि आप सीधे दर्शन करना चाहते हैं तो मंदिर जाइए|मंदिर सुबह 5:00 से रात 11:00 तक खुला रहता है|
- दर्शन के लिए कोई विशेष कीमत नहीं है लेकिन विशेष दर्शन और Vip दर्शन के लिए भुगतान करना पड़ता है|
- वीआईपी दर्शन के लिए आपको मंदिर में बुकिंग करानी होगी। भक्तों के लिए अभिषेकम पूजा का भी भुगतान किया जाता है।