इस मंदिर में कालसर्प दोष और पितृ दोष से मिलती है मुफ्ती यहां पर एक साथ स्थापित है ब्रह्मा विष्णु महेश

त्र्यंबकेश्वर यहां गौतम ऋषि की तपस्या से प्रकट हुए थे शिव, दर्शन मात्र कर देते हैं पाप मुक्त यह मंदिर भगवान शिव के उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है

श्री त्र्यंबकेश्वर मंदिर की नक्‍काशी बहुत सुंदर है| इस क्षेत्र में अहिल्या नाम की एक नदी गोदावरी भी मिलती है|कहते है कि दंपत्ति इस संगम स्थल पर संतान प्राप्ति की कामना करते हैं

त्र्यंबकेश्वर मंदिर बहुत तरह की पूजाओं  और अनुष्ठान के लिए प्रसिद्ध है पितृ दोष पूजा केवल त्र्यंबकेश्वर मंदिर में की जाती है।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग सबसे अद्भुत और मुख्य बात यह हैं कि इसके तीन मुख (सिर) हैं, जिन्हें एक भगवान ब्रह्मा, एक भगवान विष्णु और एक भगवान रूद्र का रूप माना जाता है। इस लिंग के चारों ओर एक रत्न जड़ित मुकुट रखा गया है, जिसे त्रिदेव के मुखोटे के रुप में माना गया है।

यहां स्थित ज्योतिर्लिंग की असाधारण विशेषता यह है कि मंदिर में लिंग तीन मुख वाले त्रिदेव, भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव के रूप में है। अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों में मुख्य देवता शिव हैं।

मंदिर में हुए पेंट के कारण नुकसान पहुंच रहा था, जिसे बाद में हटा दिया गया। वहीं क्षरण जैसी स्थिति से बचने के लिए शिवलिंग को छूना प्रतिबंधित कर दिया गया है

मुगलों के हमले के बाद इस मंदिर के जीर्णोद्धार का श्रेय पेशवाओं को दिया जाता है|तीसरे पेशवा के तौर पर विख्यात बालाजी यानी श्रीमंत नानासाहेब पेशवा ने इसे 1755 से 1786 के बीच बनवाया था

इस मंदिर के भीतर एक गर्भ ग्रह है जिसमें प्रवेश करने के पश्चात शिवलिंग आंख के समान दिखाई देता है जिसमें  जल भरा रहता है यदि ध्यान से देखा जाए तो इसके भीतर 1 इंच के तीन शिवलिंग दिखाई देते हैं|

भारत के अंदर कई शहरों में हिंदू देवी देवताओं के तीर्थस्थलों को ध्वस्त करवा दिया था उनमें एक नासिक का त्र्यंबकेश्वर मंदिर भी था| इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में इसका जिक्र किया है

इस मंदिर के संबंध में मान्यता है कि यहां स्थित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था यानी इसे किसी ने स्थापित नहीं किया था। ये मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है।

त्र्यंबकेश्वर मंदिर ऑनलाइन दर्शन ऑनलाइन बुकिंग आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर क्लिक करें|