बृहदेश्वर मंदिर की वास्तुकला न केवल विज्ञान और ज्यामिति के नियमों का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है, बल्कि इसकी संरचना कई रहस्य भी उत्पन्न करती है।

इस मंदिर शिखर पर लगा 80 टन भारी पत्थर, जिसकी जमीन पर नहीं पड़ती परछाईं

तमिलनाडु के तंजावुर में स्थित बृहदीश्वर/बृहदेश्वर मंदिर अपने आप में एक अद्भुत और रहस्यमयी संरचना है।

चोल साम्राज्य के ‘द ग्रेट लिविंग टेंपल्स’ में से एक भगवान शिव को समर्पित बृहदीश्वर मंदिर को महान चोल शासक राजराज चोल प्रथम ने बनवाया था।

द्रविड़ वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है बृहदीश्वर मंदिर जो कि भारत के कुछ विशाल मंदिरों में से एक है।

इस मंदिर को बनाने में 130,000 टन ग्रेनाइट पत्थर का इस्तेमाल हुआ था

इन पत्‍थरों को जोड़ने में कोई सीमेंट, प्‍लास्‍टर, सरिया या फिर अन्‍य किसी वस्‍तु का प्रयोग नहीं किया गया है।

मंदिर की खास बात एक यह भी है कि यहां भगवान शिव की सवारी कहलाने वाले नंदी बैल की भी विशालकाय प्रतिमा स्‍थापित है।

13 मंजिल ऊंचे इस मंदिर की ऊंचाई 66 मीटर है और यह 16 फीट ऊंचे ठोस चबूतरे पर बना हुआ है

तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर और रोचक तथ्य  इतिहास जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करिए