मैसूर पैलेस को पहले खूबसूरत लकड़ी के डिज़ाइन और अंदरूनी हिस्सों के साथ बनाया गया था
भारत के सबसे खूबसूरत महलों में शुमार मैसूर पैलेस कला और संस्कृति का बेजोड़ नमूना है।
अपने वर्तमान स्वरूप में यह महल जैसा नजर आता है, वैसा यह अपने मूल स्वरूप में नहीं था।
इस महल को तैयार होने में 15 साल का लंबा समय लगा। 1887 में निर्माण कार्यों की शुरुआत के बाद 1912 में जाकर यह पूर्ण हुआ।
इस महल को किसी भारतीय शिल्पकार ने नहीं, बल्कि ब्रिटिश आर्कीटेक्ट हेनरी इरविन ने बनवाया था।
मैसूर पैलेस एक वास्तुशिल्प आश्चर्य है और कर्नाटक की समृद्ध विरासत का प्रतीक है।
इसके अलावा, यह ताजमहल के बाद भारत का दूसरा सबसे अधिक देखा जाने वाला पर्यटक आकर्षण है।
मैसूर पैलेस में हर साल 6 मिलियन से अधिक आगंतुक आते हैं, जोआगरा में ताजमहल के बाद दूसरे स्थान पर है।
मैसूर पैलेस दिन के समय में जितना भव्य दिखता है, रात में उससे भी ज्यादा खूबसूरत दिखता है।
मैसूर पैलेस को अंबा विलास पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। ताज महल के बाद यह देश का दूसरा सबसे अधिक विजिट किया जाने वाला पैलेस है।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसके मंडप में 80 किलो से ज्यादा सोने का इस्तेमाल हुआ है।
इस महल में 96000 से लेकर 98,000 के करीब बल्ब लगे हुए हैं, जिनके कारण यह ढांचा रात में दूर से ही दमकता हुआ नजर आता है।
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