जानिए कौन से कैलाश पर्वत में होते हैं मणि दर्शन ,जिसने भी की चढ़ने की कोशिश पड़ा मुश्किल में, ये हैं बेहद रोचक किस्‍से

मणिमहेश कैलाश पर्वत का रहस्‍य कोई नहीं जान पाया है चौथे पहर में मणिमहेश कैलाश पर्वत पर चमकने वाली मणि लोगों को यहां चमत्‍कार होने का आभास करवाती है।

पर्वतारोही दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्‍ट को तो फतह कर लेते हैं। लेकिन जब बात मणिमहेश कैलाश पर्वत की आती है तो सब घुटने टेक जाते हैं।

ऐसा नहीं है कि इस पर्वत पर चढ़ने की किसी ने कोश‍िश नहीं की, कईयों ने शिव के निवास तक पहुंचने की कोशिश की, लेकिन वह कभी लौट नहीं पाए। कुछ दूरी पर ही वे पत्‍थर बन गए।

मणिमहेश झील (समुद्रतल से ऊँचाई 4080 मीटर / 13390 फ़ीट) हिमाचल प्रदेश के कैलाश पीक (समुद्रतल से ऊंचाई 5653 मीटर / 18547 फ़ीट) की तलहटी में स्थित एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल है

कहा जाता है कि कई 100 वर्ष पूर्व एक गडरिया ने भेड़ों के साथ मणिमहेश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी| लेकिन इससे पहले कि वह पर्वत पर अपनी चढ़ाई पूरी कर पाता वह पत्थर में तब्दील हो गया और उसकी भेड़ों भी

मान्यता है कि चंबा के भरमौर स्थित शाम चौरासी में यमराज का इकलौता मंदिर है. यहां पर यमराज की कचहरी लगती है और मृत्य के बाद यहां पर इंसान की आत्मा आती है और तय होता कि वह स्वर्ग लोक जाएगी या नरकलोक

यह मंदिर देखने में एक घर की तरह दिखाई देते हैं और यहां पर कुल 84 छोटे बड़े मंदिर हैं. एक कमरे में यमराज विराजमान हैं तो दूसरे कक्ष चित्रगुप्त रहते हैं.

यमराज के कोप से बचने के लिए भाई दूज पर यहां मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगती है. कहा जाता है कि भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आते हैं. इसी वजह से भाई दूज पर यमराज की विशेष पूजा की जाती है

मणिमहेश यात्रा  की अधिक जानकारी के लिए क्लिक करिए