भगवान कृष्ण ने दिया था कलयुग में पूजे जाने वरदान, आखिर क्यों इस मंदिर को हारे का सहारा  क्यों कहते हैं

खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है।

बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। यह पांडुपुत्र भीम के पौत्र थे।

ऐसी कथा है कि खाटू श्याम की अपार शक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर श्रीकृष्ण ने इन्हें कलियुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया।

दानशीलता के कारण बर्बरीक ने बिना किसी सवाल के अपना शीश भगवान श्री कृष्ण को दान दे दिया

श्री कृष्ण ने कहा कि तुम कलयुग में मेरे नाम से पूजे जाओगे, तुम्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजा जाएगा, तुम कलयुग का अवतार कहलाओगे और 'हारे का सहारा' बनोगे

बता दें कि खाटूश्यामजी मंदिर को राजा रूप सिंह ने 1027 ईस्वीं में बनाया था। हालांकि 1720 ई. में फिर से मंदिर में राजा देवान अभय सिंह ने कुछ बदलाव करवाए थे, जिसके बाद उसका पुनर्निर्माण किया गया

वहीं मंदिर में मन्नत का पेड़ भी है, जिसमें लोग मन्नत की चुन्नी और धागे बांधते हैं। कहा जाता है कि जो भी लोग इस पेड़ पर सच्चे मन से मन्नत की चुन्नी बांधता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।

पुरानी कथा के अनुसार बर्बरीक को अपनी मां अहिलावती (मोरवी) से आशीर्वाद प्राप्त था की बैजेस कमजोर पक्ष की ओर से  खड़े रहेंगे उसकी जीत निश्चित है

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