जयपुर की शान में खड़े हवा महल की क्यों नहीं होती सामने से एंट्री जानिए 953 खिड़कियां वाली इस पांच मंजिला इमारत का रोचक इतिहास
हवा महल का मतलब है 'हवाओं का महल' या 'हवाओं का महल'। इसमें 953 छोटी खिड़कियाँ (झरोखे) हैं, इन्हें महल के अंदर हवा बहने से रोकने के लिए बनाया गया था।
पुराने समय में यह कई राजपूत परिवारों के लिए गर्मियों की छुट्टी का स्थान था। हवा महल जयपुर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है।
जयपुर का हवा महल एक पांच मंजिला इमारत है. कहा जाता है कि ये महल ठोस नींव की कमी की वजह से घुमावदार और 87 डिग्री के कोण पर झुका हुआ है.
हवा महल में सीधा प्रवेश द्वार नहीं है; इसमें सिटी पैलेस की ओर से प्रवेश करना पड़ता है। हवा महल का निर्माण सिटी पैलेस के एक भाग के रूप में किया गया था, इसलिए इसमें बाहर से प्रवेश की कोई व्यवस्था नहीं है।
इसको गुलाबी रंग के बलुआ पत्थरों से बनाया गया है. इस महल की वजह से ही जयपुर को पिंक सिटी कहा जाता है.
हवाल महल में पांच मंजिलें हैं और वहां चढ़ने के लिए कोई सीढ़ियां नहीं हैं, बल्कि ऊपर की मंजिलों तक पहुंचने के लिए केवल रैंप हैं।
कहा जाता है कि सवाई प्रताप सिंह भगवान श्री कृष्ण के प्रति अत्यंत श्रद्धा भक्ति भाव रखते थे, जिसकी वजह से उनहोंने इस महल को उनके ताज का आकर दिया।
हवा महल खास तौर पर राजपुत परिवार की महिलाओं के लिए अलग से बनवाया गया था जिसकी खिड़कियों से वे बिना किसी रोक-टोक या हिचकिचाहट के शहर की रोज़मर्रा ज़िन्दगी को देख सकती थीं।
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