भारत के सबसे बड़े किलो में से एक जो UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साईट में शामिल है वह है चित्तौड़गढ़ का किला. यह भारत का सबसे बड़ा किला माना जाता है

ऐसा माना जाता है कि चितौड़गढ़ के किले को सातवीं सदी में मौर्यों द्वारा बनवाया गया था. इस अवधि के सिक्कों पर अंकित मौर्य शासक चित्रांगदा मोरी के नाम पर इसका नाम पड़ा

चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में लगभग 65 ऐतिहासिक निर्मित संरचनाएं हैं, जिनमें से 4 महल परिसर, 19 मुख्य मंदिर, 4 स्मारक और 22 कार्यात्मक जल निकाय शामिल हैं

इस किले में 7 प्रवेश द्वार हैं: राम पोल, लक्ष्मण पोल, पडल पोल, गणेश पोल, जोरला पोल, भैरों पोल और हनुमान पोल. यानी की इस किले में अंदर जाने के लिए इन सात प्रवेश द्वारों से होकर जाना होगा

ऐसा कहा जाता है कि पहले इस किले में 84 जल निकाय थे जो 50,000 सैनिकों को 4 साल तक पानी की आपूर्ति प्रदान कर सकते थे, जिनमें से केवल अब लगभग 22 बचे हैं.

ऐसा कहा जाता है कि पहले इस किले में 84 जल निकाय थे जो 50,000 सैनिकों को 4 साल तक पानी की आपूर्ति प्रदान कर सकते थे, जिनमें से केवल अब लगभग 22 बचे हैं.

चित्तौड़गढ़ किले के परिसर में लगभग 65 ऐतिहासिक निर्मित संरचनाएं हैं, जिनमें से 4 महल परिसर, 19 मुख्य मंदिर, 4 स्मारक और 22 कार्यात्मक जल निकाय शामिल हैं

इन सब आकर्षणों के अलावा सबसे खास हैं यहां के दो पाषाणीय स्तंभ, जिन्हें कीर्ति स्तंभ और विजय स्तंभ कहा जाता है. ये दो स्तंभ, किले के और राजपूत वंश के गौरवशाली अतीत को दर्शाते हैं

चित्तौड़गढ़ किले के अंदर कई महल व अन्य रचनाएं भी स्थापित हैं. जैसे कि पद्मिनी महल, राणा कुंभा महल और फ़तेह प्रकाश महल आदि

चित्तौड़गढ़ किले में कई सारे मंदिर स्थापित हैं जैसे कलिका मंदिर, जैन मंदिर, गणेश मंदिर, सम्मिदेश्वरा मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर और कुंभश्याम मंदिर आदि

चित्तौड़गढ़ का किला अपनी स्थापत्य कला और खूब सारे पर्यटक स्थलों जैसे की महल, जलाशय, स्तंभ, अरावली की हरी-भरी पहाड़ियों का नज़ारा आदि के लिए काफी प्रसिद्ध है

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