Nageshwar jyotirlinga online booking:नागेश्वर मंदिर का एक प्रमुख आकर्षण भगवान शिव की 80 फीट ऊंची विशाल मूर्ति है|गुजरात के द्वारका में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है|उसे ज्योतिर्लिंग काका नाम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है|गोमती द्वारका और भेंट द्वारका के स्थित है| इस मंदिर का उल्लेख शिव पुराण में भी किया जाता है|
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग को अलग अलग नाम से भी जाना जाता है जैसे नाग मंदिर नागेश्वर महादेव मंदिर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग|नागेश्वर ज्योतिर्लिंग तीन मुखी वाला रुद्राक्ष है|भगवान शिव के आंसू भी कहा जाता है भगवान शंकर के भक्तों का मानना है कि जो लोग भगवान नागेश्वर की पूजा करते हैं|उनका जीवन सफल होता है|द्वादश ज्योतिर्लिंग में 10वां स्थान नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का आता है|रुद्र संहिता में शिव को ‘दारुकावन नागेशम’ के रूप में बताया गया है| नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के यहां दर्शन करने से तमाम पापों का अंत हो जाता है आईए जानते हैं नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास और महत्वपूर्ण बातें|
Nageshwar jyotirlinga online booking
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारकापुरी से लगभग किलोमीटर दूर पर स्थित है| शिव पुराण में रुद्र संहिता में इस मंदिर को दारूकाबने नागेश कहां गया है| नेता है कि ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजन से काल सर्प दोष जैसे अशुभ योग का असर कम होता है मंदिर में भक्ति नाग नागिन की मूर्तियां भी अर्पित करते हैं|नागेश्वर का अर्थ है नागों के देवता इन लोगों की कुंडली में सर्प दोष होता है उन्हें यहां धातुओं से बने नाग नागिन अर्पित करना चाहिए मान्यता से नाग दोष छुटकारा मिलता है|
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए हर दिन हजारों श्रद्धालु आते हैं|इसी वजह से नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में काफी भीड़ रहती है इसी समस्या को देखते हुए नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ट्रस्ट की तरफ से nageshwar jyotirlinga vip darshan online booking सुविधा शुरू कर दी है|अगर आप nageshwar jyotirlinga vip darshan बुकिंग करवा लेते हैं तो आप आसानी से दर्शन कर सकेंगे|
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा
पुरानी कथा के अनुसार दारुका नाम की एक राक्षस कन्या थी| उसे दारूका वन में जाने की अनुमति नहीं थी| उसने कठिन तपस्या कर माता पार्वती को प्रसन्न कर लिया था| माता पार्वती ने दारूका से वरदान मांगने को कहा था |तो राक्षसी ने वह दारुका वन में कई प्रकार की दैवीय औषधियां. उसने देवी पार्वती से सद्कर्मों के लिए राक्षसों को वन में जाने का वरदान मांगा|
देवी पार्वती राक्षसी के विचारों से प्रसन्न हुई और उन्होंने उसे दारुका वन में जाने का वर दान दे दिया लेकिन वरदान मिलते ही दारुका और अन्य राक्षसों ने वन ओ देवताओं से छीन लिया|वन में एक सुप्रिया नाम की शिव भक्त थी| जिसे दारुका ने बंदी बना लिया था. इसके बाद सुप्रिया ने शिव की तपस्या की और उनसे राक्षसों के नाश का वरदान मांगा|
ऐसे हुई नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना
सुप्रिया ने शिव जी की तपस्या करके राक्षसों से खुद का बचाव और उनका नष्ट की प्रार्थना की|अपनी परम भक्त की रक्षा के लिए भगवान शिव दिव्य ज्योति के रूप में एक बिल में प्रकट हुए|महादेव ने राक्षसों का विनाश कर दिया| सुप्रिया ज्योतिर्लिंग का विधिवत पूजन किया|और शिव जी से इसी स्थान पर स्थापित होने का आग्रह किया|भगवान शिव ने अपने भक्त का आग्रह मन कर वहीं स्थित हो गए इसी प्रकार ज्योतिर्लिंग का स्वरूप भगवान शिव नागेश्वर कहलाए|
Nageshwar Jyotirlinga timings
पूजा | समय |
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मंदिर खुलता है | प्रातः 05:30 बजे |
मंगल आरती | प्रातः 05:00 से 05:30 बजे तक |
महाभोग महाआरती | दोपहर 12:00 से 12:30 बजे तक |
मध्य स्नान | 04:00 बजे से 04:30 बजे तक |
शयन आरती | 08:30 से 09:00 बजे तक |
मंदिर बंद | 09:00 अपराह्न |
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए जरूरी निर्देश
श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गर्भगृह में अभिषेक के लिए पुरुषों को अपनी शर्ट उतारनी पड़ती है, दर्शन के लिए कोई ड्रेस कोड नहीं है।
आप भारतीय सांस्कृतिक पोशाक पहनकर मंदिर में आ सकते हैं।
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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की अधिक जानकारी जानने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर क्लिक करिए|
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कौन से शहर में है?
गुजरात में सौराष्ट्र के तट पर द्वारका शहर और बेयट द्वारका द्वीप के बीच मार्ग पर स्थित यह महत्वपूर्ण भगवान शिव मंदिर है।
क्या नागेश्वर द्वारका एक ज्योतिर्लिंग है?
द्वारका में स्थित नागेश्वर मंदिर भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
द्वारका से नागेश्वर कितना किलोमीटर?
भगवान् शिव का यह प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग गुजरात प्रांत में द्वारका से लगभग 17 मील की दूरी पर स्थित है।