konark sun temple tickets:उड़ीसा में प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर 772 साल पुराना है|बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से बने इस मंदिर को देखने के लिए दुनिया भर से सैलानी आते हैं|इस मंदिर का निर्माण इस तरह से किया गया है कि सूर्य की पहली किरण मंदिर के प्रवेश द्वार पर पड़ती है|यह भारत के मुख्य सूर्य मंदिरों में से एक है इस मंदिर को इस तरह से बनाया गया है कि सूरज की पहली किरणें पूजा करने की जगह और भगवान की मूर्ति पर ही पड़ें।
उड़ीसा के पुरी जिले में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर वास्तु कला की दृष्टि से तो हरण करता है साथ ही इसका अध्यात्म दृष्टि में भी विशेष महत्व है|यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है|हिंदू धर्म में सूर्य देव को सभी रोगों का नाशक माना गया है अपनी कई खासियत के चलते इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में अपनी बनाई गई है|
Konark Sun Temple Darshan
उड़ीसा में स्थित प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर 772 साल पुराना है|कोणार्क सूर्य मंदिर उड़ीसा के पुरी में स्थित है| इस मंदिर का निर्माण 1250 ईस्वी में गंग वंश राजा नरसिंह देव प्रथम ने करवाया था|अबुल फजल ने आइन-ए-अकबरी में लिखा है कि राजा नरसिंह देव ने 12 साल के पूरे राजस्व को मंदिर के निर्माण में लगा दिया था|
जानिए 7 घोड़े व 12 पहियों का यह है रहस्य
यह मंदिर को पूर्व दिशा की ओर ऐसे बनाया गया है कि सूरज की पहली किरण मंदिर के प्रवेश द्वार पर पड़ती है| यह मंदिर कलिंग शैली में निर्मित है और इसकी संरचना रथ के आकार की है | रथ में कुल 12 जोड़ी पहिए हैं| एक पहिए का व्यास 3 मीटर है| इन पहियों को धूप घड़ी भी कहते हैं| क्योंकि यह वक्त बताने का काम करते हैं| इस रात में सात घोड़े हैं जिनको सप्ताह के साथ दोनों का प्रतीक माना जाता है|
कोणार्क सूर्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर दो मूर्तियां हैं जिसमें सिंह के नीचे हाथी है और हाथी के नीचे मानव शरीर है| मान्यता है कि इस मंदिर में करीब 2 कि उत्तर में चंद्रभागा नदी बहती है|अब विलुप्त हो गई है| ऐसी कहावत है कि इस मंदिर के निर्माण में 1200 कुशल शिल्पा ने 12 साल तक काम किया|लेकिन सूर्य लेकिन मंदिर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया|इसीलिए जिसके बाद मुख्य शिल्पकार दिसुमुहराना के बेटे धर्मपदा ने निर्माण पूरा किया और मंदिर बनने के बाद उन्होंने चंद्रभागा नदी में कूदकर जान दे दी|
इस मंदिर का निर्माण बलुआ पत्थर और ग्रेनाइट से हुआ है|कोणार्क शब्द दो शब्दों कोण और अर्क से मिलकर बना हुआ है जिसमें अर्क का अर्थ सूर्यदेव है| इस मंदिर में भगवान सूर्य रथ पर सवार हैं| यह मंदिर जगन्नाथ पुरी से करीब 35 कि की दूरी पर स्थित है|इस मंदिर को साल 1984 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था|
कोणार्क सूर्य मंदिर पौराणिक मान्यता
इस मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो संसार भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब मैं एक बार नारद मुनि के साथ अभद्र व्यवहार किया था| जिसकी वजह से नारद जी ने क्रोधित होकर उन्हें शराब दे दिया शराब के कारण साम्ब कुष्ठ रोग हो गया| साम्ब ने चंद्रभागा नदी के सागर संगम में कोणार्क मैं 12 वर्षों तक तपस्या की| जिसके चलते सूर्य देव प्रसन्न हो गए सूर्य देव जी सभी रोगों के नाशक थे उन्होंने के सभी रोगों का निवारण कर दिया
तभी साम्ब ने सूर्य भगवान का एक मंदिर बनवाने का निर्णय किया। अपने रोग नाश के प्रांत गंगा नदी में स्नान करते हुए उसे सूर्य देव एक मूर्ति मिली| इस मूर्ति को लेकर माना जाता है कि यह मूर्ति सूर्य देव के शरीर के ही एक भाग से देव शिल्पी श्री विश्वकर्मा ने बनाई थी| लेकिन अब यह मूर्ति पूरी के जगन्नाथ मंदिर में रख दी गई है|
Konark Sun Temple timings and entry fee
जगह | कोणार्क, ओडिशा |
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समय | प्रातः 6:00 बजे से सायं 8:00 बजे तक; प्रतिदिन |
प्रवेश शुल्क | भारतीयों के लिए ₹ 30; विदेशियों के लिए ₹ 500 |
कोणार्क नृत्य महोत्सव प्रवेश पास | ₹ 400 प्रति व्यक्ति |
फोटोग्राफी | गैर-वाणिज्यिक फोटोग्राफी निःशुल्क है |
Konark Temple light and Sound show tickets
अगर आप भारतीय हैं तो प्रति व्यक्ति केवल 40 रुपये देने होंगे| जबकि विदेशियों को प्रति व्यक्ति 600 देने होंगे| बनाना बनाना है अगर आप लाइट एंड साउंड शो देखना चाहते हैं तो शो नियोजन स्थल पर ही टिकट खरीदा जाएगा|बिम्सटेक और सार्क देशों के नागरिकों को प्रवेश शुल्क के रूप में 40 रुपये देने होंगे।
लाइट शो देखने के इच्छुक सभी उम्मीदवारों को इसका आनंद लेने के लिए वायरलेस हेडफोन प्रदान किया जाते हैं| यह शो तीन भाषाओं हिंदी अंग्रेजी और उड़ीसा में होता है| इसे देखने के लिए आपके पास कोई भी एक भाषा चुनने का विकल्प है| कोणार्क मंदिर लाइट एंड साउंड शो शाम 7 बजे शुरू होगा और टिकट की कीमत प्रति व्यक्ति 30 रुपये है।
Konark Temple light and Sound show tickets Online Booking
- आपको हेरिटेज मॉन्यूमेंट ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा या क्विक बुकिंग – सूर्य मंदिर, कोणार्क पर क्लिक करना होगा।
- आपके सामने टिकट बुकिंग की आधिकारिक विंडो खुल जाएगी|
- यहां आपको कुछ विकल्प चुन्नी होंगे जैसे की तारीख समय स्लॉट (पूर्वाह्न या दोपहर), और राष्ट्रीयता (भारतीय, विदेशी, सार्क, बिम्सटेक)।
- फिर आपको का नाम दर्ज करना होगा और आपकी आईडी दस्तावेज चुनना होगा|
- यदि कोई अन्य सदस्य है तो ‘एड एडल्ट’ बटन पर क्लिक करें यदि कोई बच्चा है तो उसको भी चुनना होगा|
- उसके बाद नाम के साथ आदि जैसी संपूर्ण जानकारी भरनी होगी
- अब पर Pay Now पर क्लिक करें|
- आपके सामने एक भुगतान गेटवे खुल जाएगा|
- आपको यूपीआई क्रेडिट डेबिट नेट बैंकिंग जैसे उपलब्ध भुगतान विधियों से भुगतान करना होगा| भुगतान रसीद के साथ एक पुष्टिकरण संदेश आपके पंजीकृत मोबाइल पर भेजा जाएगा|
कोणार्क सूर्य मंदिर का रहस्य
इस मंदिर को सूर्य देवता के रथ के आकार का बनाया गया है. इस रथ में 12 जोड़ी पहिए मौजूद हैं जिसे 7 घोड़े रथ को खींचते हुए दिखाया गया है. यह 7 घोड़े 7 दिन के प्रतीक हैं और 12 जोड़ी पहिए दिन के 24 घंटों को बतलाते हैं. यह भी माना जाता है कि 12 पहिए साल के 12 महीनों के प्रतीक हैं
कोणार्क का सूर्य मंदिर कब और किसने बनवाया?
इसे 13वीं सदी में गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनवाया था. इसकी कलाकृतियां हैरत में डाल देती हैं. यह कलिंग वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में से एक है. कहा जाता है कि सूर्य मंदिर को इस तरह से बनाया गया था कि सूरज की पहली किरणें सीधे पूजा करने की जगह और भगवान की मूर्ति पर पड़ें
कोणार्क मंदिर का दूसरा नाम क्या है?
प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा के कोणार्क शहर में स्थित है। यह भारत के बहुत कम और प्रसिद्ध सूर्य मंदिरों में से एक है। काले ग्रेनाइट से निर्मित होने के कारण इसे ‘काला पैगोडा‘ भी कहा जाता है।