Guruvayur temple Darshan timings Online Booking:हम केरल के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थल गुरुवायुर मंदिर के बारे में बात करेंगे|जिसकी गिनती केरल के सबसे अमीर मंदिरों में की जाती है यह मंदिर भगवान गुरुवायुरप्पन को समर्पित है|गुरुवायुर मंदिर को दक्षिण की द्वारका भी कहा जाता है भगवान कृष्ण अपने गोपाल रूप मैं विराजमान है|गुरु का अर्थ है देवगुरु बृहस्पति, वायु का मतलब है भगवान वायुदेव और ऊर एक मलयालम शब्द है, जिसका अर्थ होता है भूमि। इसलिए इस शब्द का पूरा अर्थ है – जिस भूमि पर देवगुरु बृहस्पति ने वायु की सहायता से स्थापना की
गुरुवायुर केरल में त्रिशूल जिले का एक गांव है जो की त्रिशूल घर में लगभग 25 कि की दूरी पर स्थित है यह स्थान भगवान श्री कृष्ण के मंदिर की वजह से खास माना जाता है| गुरुवायुर केवल केरल में प्रसिद्ध नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है| गुरुवायुर मंदिर में अपने वजन के बराबर चीज भगवान को अर्पित करने की प्रथा है इसलिए लोग अपने वजन के बराबर श्रद्धालु दान करते हैं|
गुरुवयूर मंदिर (गुरुपवनपुरी) केरल के त्रिशूर जिले के गुरुवयूर शहर में स्थित एक प्रसिद्ध भारतीय हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु (गुरुवायुरप्पन) को समर्पित है, लेकिन लोकप्रिय रूप से कृष्ण के नाम से जाने जाते हैं।
Guruvayur temple darshan timings online booking today
केरल का सबसे अमीर मंदिर, गुरुवायुर मंदिर भगवान गुरुवायुरप्पन को समर्पित है| इस मंदिर को भगवान कृष्ण अपने बाल गोपाल रूप में विराजमान है|गुरुवायुर मंदिर में कृष्ण भगवान बहुत ही खूबसूरत मूर्ति जिसके चार हाथ हैं| मैं मूर्ति देखने में काफी मनमोहक है|मूर्ति भगवान कृष्ण अपने हाथों में सुदर्शन चक्र कमल और गदा धारण किए हुए हैं|गुरुवायुरप्पन मंदिर में रामलला की तरह ही कृष्ण भगवान मंदिर में बाल रुप में पूजे जाते हैं|इस मंदिर की खास बात ये है कि ये 5000 साल से भी ज्यादा पुराना माना जाता है|
अगर आप गुरुवायुर मंदिर में आने का सोच रहे हैं आपको बताना चाहते हैं आप यहां आने से पहले Guruvayur temple Online Booking for darshan टिकट बुकिंग करवा ले| क्योंकि अगर आपने गुरुवायूर मंदिर के लिए वीआईपी पास लिया होगा तो आप आसानी से दर्शन कर सकेंगे|मंदिर में Guruvayur Temple Online Booking Free Darshan एडवांस में बुकिंग करवा ले|क्योंकि यहां पर भक्तों की काफी भीड़ लगी रहती है|
अगर आपने पहले से Guruvayur temple entry tickets नहीं लिया तो आपको मंदिर दर्शन करने में दिक्कत आ सकती है| इसलिए हमारा परामर्श है कि आप मंदिर में आने से पहले गुरुवायुर मंदिर टिकट बुकिंग करवा ले|
गुरुवयूर मंदिर पूजा का समय
मंदिर प्रातः 3.00 बजे खुलता है | |
समय | पूजा |
प्रातः 3.00 बजे से 3.20 बजे तक | निर्माल्यम् |
प्रातः 3.20 से 3.30 बजे तक | थैलभिषेकम्, वाकचार्थु, शंखाभिषेकम् |
प्रातः 3.30 से 4.15 बजे तक | मलार निवेद्यम, अलंकारम |
प्रातः 4.15 बजे से प्रातः 4.30 बजे तक | उषा निवेद्यम् |
सुबह 4.30 से 6.15 बजे तक | एथिरेट्टू पूजा के बाद उषा पूजा |
प्रातः 7.15 बजे से प्रातः 9.00 बजे तक | सीवेली, पलाभिषेकम, नवकाभिषेकम, पंथिरादि निवेद्यम, और पूजा |
सुबह 11.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक | उच्च पूजा (दोपहर की पूजा) |
गुरुवायुर मंदिर का समय
गुरुवयूर मंदिर का समय आज | सुबह 9.30 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक |
सुबह 3.30 से 4.15 बजे तक मलार निवेद्यम, अलंकारम सुबह 4.30 से 6.15 बजे तक एथिरेट्टू पूजा |
मंदिर दोपहर 1.30 बजे से शाम 4.30 बजे के बीच बंद रहेगा और शाम 4.30 बजे फिर से खुलेगा | |
समय | पूजा |
शाम 4.30 बजे से शाम 5.00 बजे तक | सीवेली |
शाम 6.00 बजे से 6.45 बजे तक | दीपाराधना |
शाम 7.30 बजे से 7.45 बजे तक | अथज पूजा निवेद्यम |
शाम 7.45 से 8.15 बजे तक | अथाझा पूजा |
रात्रि 8.45 बजे से रात्रि 9.00 बजे तक | अथाज़ा सीवेली |
रात्रि 9.00 बजे से रात्रि 9.15 बजे तक | थ्रिप्पुका, ओलवायना |
गुरुवायुर मंदिर का इतिहास
गुरुवायुर अपने मंदिर के लिए सर्वाधिक प्रसिद्ध है जो कई शताब्दी में पुराना मंदिर है और केरल के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है|इस मंदिर की मान्यता के अनुसार मंदिर का निर्माण समय विश्वकर्मा द्वारा किया गया है|और मंदिर का निर्माण इस प्रकार किया गया है कि सूर्य की प्रथम कितने सीधे भगवान गुरुवायुर के चरणों पर गिरे|इस मंदिर को दक्षिण की द्वारका भी कहा जाता है मंदिर 5000 साल पुराना है|लेकिन 1638 इसका पुनर्निर्माण करवाया गया| भगवान श्री कृष्णा बाल रूप में इस मंदिर में विराजमान है एक अन्य पौराणिक मान्यता के मुताबिक मंदिर का निर्माण देव गुरु बृहस्पति ने किया था|
मंदिर की पौराणिक कथा
मंदिर को लेकर एक पुरानी कथा है जिसके अनुसार कलियुग के आरंभ में वायु देव और देवों को गुरु माने जाने वाले देव गुरु बृहस्पति को भगवान श्री कृष्ण की एक मूर्ति मिली| यह मूर्ति द्वापर युग की थी वायु देव और देव गुरु बृहस्पति ने एक मंदिर बनाकर उसे मूर्ति की स्थापना की| देव गुरु बृहस्पति के अध्याय पर मंदिर का निर्माण खुद विश्वकर्मा ने किया वायु देव और देव गुरु के नाम पर ही भगवान को गुरुवायुरप्पन कहां गया है उसे जगह का नाम गुरुवायुर पड़ा
Guruvayur temple Online Booking for darshan
- Guruvayur Temple Online Booking Darshan के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर क्लिक करना होगा|
- होम पेज पर आपको login कॉलम और अपना यूजरनेम और पासवर्ड दर्ज करना होगा| इसके बाद तब पर फ्री दर्शन के स्पेशल दर्शन पर क्लिक करें
- आपको विवरण देना होगा तारीख स्लॉट समय भक्तों की संख्या जैसे कुंजी देनी होगी| दर्शन करने वाले सभी श्रद्धालुओं की उम्र 10 साल से 65 साल के बीच होनी चाहिए|
- अब विशेष दर्शन के लिए कुल राशि पर क्लिक करें|और शुल्क का भुगतान करें दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं है|
- इसके बाद अपना कंफर्म बटन पर क्लिक करना होगा|
- इस प्रकार आप आसानी से सफलता पूर्वक गुरुवायुर मंदिर ऑनलाइन टिकट स्लॉट बुक कर सकते हैं|