क्यों बाबा महाकाल की जाती है भस्म से पूजा,उज्जैन महाकाल भस्म आरती रोचक तथ्य

मध्य प्रदेश के उज्जैन को भगवान शिव की नगरी कहते हैं। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग यही मौजूद है

मान्यता के अनुसार, बाबा महाकाल के दर्शन करने से जीवन-मृत्यु का चक्र भी कनेक्टेड है और व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष मिलता है। यहां की भस्म बड़ी ही फेमस है

महाकाल की 6 बार आरती होती है, जिसमें सबसे खास रहती है भस्म आरती, सबसे पहले भस्म आरती होती है

भस्म आरती यहां सुबह 4 बजे होती है, इस आरती की खासियत है इसमें ताजा मुर्दे की भस्म से भगवान महाकाल का श्रृंगार होता है।

महाकाल की भस्म आरती के पीछे एक यह मान्यता भी है कि भगवान शिवजी श्मशान के साधक हैं. भस्म को उनका श्रृंगार-आभूषण माना जाता है

इस आरती को देखने के लिए पुरुषों को केवल धोती पहननी होती है जबकि महिलाओं को आरती के समय घूंघट करना पड़ता है

पलाश, बड़, शमी, पीपल, अमलतास, बैर के पेड़ की लकडि़यां और उपलों को  एक साथ जलाया जाता है. पूरी प्रक्रिया के दौरान मंत्रोच्चारण किए जाते हैं. फिर इसे एक साफ कपड़े से छानकर बाबा का श्रृंगार किया जाता है.

शिव संहार के देवता है. भोलेनाथ भस्म धारण ये संदेश देते हैं कि जब इस संसार का विनाश होगा तब सभी जीवों की आत्माएं शिवजी में ही समा जाएंगी.

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