मणिमहेश पर्वत की यात्रा रहस्य बनी हुई है। अभी तक कोई भी इस पर्वत को फतह करने में सफल नहीं रहा है
शिवलिंग के आकार की एक चट्टान को भगवान शिव का स्वरूप माना जाता है। अभी तक कोई भी इस चोटी पर चढ़ने में सक्षम नहीं हो पाया है।
मणिमहेश झील से करीब एक किलोमीटर की दूरी पहले गौरी कुंड और शिव क्रोत्री नामक दो धार्मिक महत्व के जलाशय हैं, जहां लोकप्रिय मान्यता के अनुसार गौरी और शिव ने क्रमशः स्नान किया था
मान्यता है कि इस मंदिर में साक्षात यमराज विराजमान हैं| जिला चंबा के भरमौर इलाके में 84 मंदिर है| इनमें एक मंदिर यमराज का वास है| माना जाता है कि यहां यमराज की अदालत लगती है
समुद्र तल से लगभग 4 हज़ार से भी अधिक मीटर की ऊंचाई पर मौजूद मणिमहेश झील हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मौजूद है। शिव के आभूषण के नाम से प्रचलित यह झील मानसरोवर झील के सामान महत्व रखती है।
इस झील तक पहुंचने के लिए सैलानियों और तीर्थ यात्रियों को लगभग 13 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय करनी होती है। आपको ये भी बता दें कि बर्फ़बारी होने के कारण अधिकांश समय इस झील यात्रा बंद ही रहती है।
माना जाता है कि भगवन शिव ने देवी पार्वती से शादी करने के बाद इस झील का निर्माण किया था। एक अन्य कहानी ये कि ब्रह्मा, विष्णु, और महेश का स्वर्ग स्थान यहीं हुआ करता था।
कहा जाता है कि कई 100 वर्ष पूर्व एक गडरिया ने भेड़ों के साथ मणिमहेश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी| लेकिन इससे पहले कि वह पर्वत पर अपनी चढ़ाई पूरी कर पाता वह पत्थर में तब्दील हो गया और उसकी भेड़ों भी
मणिमहेश कैलाश पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है जो भगवान शिव को समर्पित है| पांच कैलाश में से एक मणिमहेश कैलाश भी एक कैलाश है
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