Bade Hanuman ji Prayagraj Online Booking:भारत में हनुमान की बड़ी प्रतिमा वाले के मंदिर मौजूद है| आज आपको लेटे हनुमान मंदिर के बारे में बताते हैं यहां पर बजरंगबली की प्रतिमा लेटी हुई है| उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर है जिसकी मान्यता है पूरे देश में है इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के बिना स्नान अधूरा है|आईए जानते हैं इस मंदिर की क्या विशेषता है इसके पीछे क्या रहस्य और कहानी क्या है
हनुमान जी को कलयुग का देवता के रूप में पूजा जाता है| ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी एक ऐसे देव है जो वर्तमान समय में भी पृथ्वी पर मौजूद है| हनुमान चालीसा की एक चौपाई कलयुग में सिद्ध हो देव तुम्ही भी है| जिसमें इस बात का जिक्र मिलता है |राम के परम भक्त हनुमान जी चिरंजीवी होने का आशीर्वाद है|
Lete Hanuman Mandir
आज हम आपको हनुमान जी के कैसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं हनुमान जी की अनोखी प्रतिमा की पूजा की जाती है हनुमान जी के लेटे हुए प्रतिमा की पूजा की जाती है|आपको बताते हैं कि मंदिर कहां स्थित है जानिए मंदिर कहां पर स्थित है और इसकी क्या मान्यता और विशेषता है|
उत्तर प्रदेश की धर्म नगरी के नाम से जाने वाली इलाहाबाद प्रयागराज संगम किनारे हनुमान जी की यह प्रतिमा मौजूद है| यहां पर बजरंगबली की लेटी हुई प्रतिमा की पूजा की जाती है|ऐसी मान्यता है कि संगम में स्नान के बाद इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के बाद ही स्नान का पुण्य मिलता है|बजरंगबली की इस प्रतिमा की लंबाई कुल 20 फिट है| हनुमान जी की यह प्रतिमा करीब 6 से 7 फीट धरातल के नीचे तक है| इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करने से भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं|
लेटे हुए हनुमान जी की मूर्ति की विशेषता
प्रयागराज में स्थित हनुमान जी को कई नाम से जाना जाता है इन्हें बड़े हनुमान जी वाले हनुमान जी लेटे हनुमान जी और बांध वाले हनुमान जी कहा जाता है| यहां जमीन से नीचे हनुमान जी की मूर्ति लेटे हुए मुद्रा में है| हनुमान जी अपनी एक भुजा से अहिरावण और दूसरी भुजा से दूसरे राक्षस को पकड़े हुए हैं. कहते हैं कि ये एक एकमात्र मंदिर है जहां हनुमान जी लेटे हुए हैं|यहां पर हनुमान जी ने अपने बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण को दबा रखा है|
बजरंगबली के दाएं हाथ में राम लक्ष्मण और बाएं हाथ में गधा है मंदिर में हनुमान जी के लेटे होने के पीछे यह मानता है कि लंका विजय के बाद जब हनुमान जी यहां से गुजर रहे थे तो थकान होने लगी थी| इसके बाद माता सीता के कहने पर हनुमान जी ने यहां विश्राम किया था इसी को ध्यान में रखते हुए यहां लेटे हनुमान जी की पूजा की जाती है|
Prayagraj Hanuman Mandir story
एक कहानी सैकड़ो वर्ष पूर्व एक धनी व्यापारी हनुमान जी की मूर्ति को लेकर जा रहा था| तभी उसकी नाम संगम के तट पर पहुंची और हनुमान जी की टीवी गिर गई इस व्यापारी ने हनुमान जी की मूर्ति को तमाम कोशिश की लेकिन कोई सफलता न मिली श्री हनुमान जी ने एक रात सपना दिया और कहा कि वह इस संगम पर ही रहना चाहते हैं|
Bade Hanuman ji Prayagraj History
बताते हैं कि 1582 में अकबर अपने साम्राज्य को विस्तार देने में जब व्यस्त था तो वह इधर भी आया था|मंगध, अवध, बंगाल सहित पूर्वी भारत में चलने वाले विद्रोह को शांत करने के लिए अकबर ने यहां एक किले का निर्माण कराया नशे के अनुसार किले के निर्माण के भीतर लेटेस्ट हुए हनुमान जी का मंदिर आ रहा था|तब साधु संतों ने इसका विरोध किया
तब अकबर ने लेटे हनुमान जी को गंगा के किनारे शिफ्ट का प्रस्ताव किया लेकिन अकबर के सैनिक हनुमान जी की प्रतिमा को हिला ना सके|इस समय हनुमान जी ने अकबर को सपना दिया मैं इस काम को रोक दिया और हनुमान जी से अपनी हार मान ली और अकबर ने मंदिर के पीछे किले का का निर्माण करवाया|
Bade hanuman ji prayagraj timing
दर्शन का समय
समय – प्रातः 5:00 बजे से रात्रि 9:00 बजे तक
समय – मंगलवार और शनिवार को मंदिर रात 10:30 बजे तक खुला रहता है
प्रयागराज में हनुमान जी लेटे हुए क्यों है?
कई लोग प्रयागराज संगम के दर्शन के लिए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य प्राप्त करने के लिए लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन करना जरूरी माना जाता है।
वह कौन सा मंदिर है जहां पर हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई है?
प्रयागराज. वैसे तो धर्मनगरी प्रयाग में कई पौराणिक मंदिर हैं, लेकिन बंधवा स्थित लेटे वाले हनुमान जी की कहानी बेहद रोचक और दिलचस्प है|आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे विश्व में इकलौता यही मंदिर है जहां परमशक्ति श्री हनुमान जी की ‘लेटी हुई प्रतिमा’ को पूजा जाता है
प्रयागराज में हनुमान जी लेटे हुए क्यों हैं?
यहां के बारे में ऐसा कहा जाता है कि लंका पर जीत हासिल करने के बाद जब हनुमानजी लौट रहे थे तो रास्ते में उन्हें थकान महसूस होने लगी। तो सीता माता के कहने पर वह यहां संगम के तट पर लेट गए। इसी को ध्यान में रखते हुए यहां लेटे हनुमानजी का मंदिर बन गया।