400 साल तक बर्फ में दबे रहने के बाद भी ज्योतिर्लिंग को कुछ ना हुआ,जानिए यह कौन सा ज्योतिर्लिंग है और इसकी महिमा

kedarnath jyotirlinga darshan:देश के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक केदारनाथ मंदिर केदार पर्वत 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है|केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के लिए दूर दूर से भक्त भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं|केदारनाथ मंदिर हिंदू मंदिरों में से एक महत्वपूर्ण मंदिर और ज्योतिर्लिंग है|भारत के छोटा चार धाम के चार मुख्य स्थान में से केदारनाथ है|

भगवान शिव को कोई अलग अलग नाम से पुकारा जाता है दुनिया भर में भगवान शंकर के कई सारे मंदिर और शिवालय हैं| भगवान शंकर का ज्योतिर्लिंग हिंदुओं के बीच ज्यादा पूजनीय है| भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग है| उन ज्योतिर्लिंग में से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ ज्योतिर्लिंग भी है| इस ज्योतिर्लिंग की काफी मानता है| क्योंकि कहा जाता है कि 400 साल तक बर्फ में दबे रहने के बाद भी इस ज्योतिर्लिंग का कुछ नहीं हुआ|

kedarnath jyotirlinga darshan

केदारनाथ मंदिर हिंदुओं के पवित्र मंदिरों में से एक मंदिर है|यह उत्तराखंड की मंदाकिनी नदी तट पर बड़ी ग्लेशियर के बगल में सुंदर तल से 3583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है|भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर महाभारत काल से ही महत्वपूर्ण रहा है|भारत का छोटा चार धाम के चार मुख्य स्थान में से केदारनाथ जो उत्तराखंड के उत्तरी हिमालय में स्थित है| इस भव्य मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य जो आपको आश्चर्यचकित कर देंगे|

ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड में है इसे केदारनाथ मंदिर या केदारनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है| शिव का सबसे विकराल रूप भैरवनाथ है|भगवान मैं दिव्या क्षमता से संपन्न है जो उसे ब्रह्मांड को नष्ट करने की अनुमति देती है| भैरवनाथ सर्दियों के महीना के दौरान जब नाथ मंदिर बर्फ से ढका रहता है बुरी आत्माओं से उसकी रक्षा करते हैं इसी कारण से जिन दिनों में केदारनाथ मंदिर और बंद होता है| उसे दिन भैरवनाथ की भी पूजा की जाती है|

kedarnath jyotirlinga darshan
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केदारनाथ मंदिर का इतिहास

शिव जी के इस का इतिहास भगवान विष्णु अवतार नर नारायण आदि गुरु शंकर आचार्य से जुड़ा है| यह मंदिर हिमालय के क्षेत्र में है| इसी वजह से शीत ऋतु के समय करीब 6 महीने बंद रहता है और ग्रीष्म ऋतु के समय भक्तों के लिए खोला जाता है|

नर-नारायण के तप से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे शिव जी

केदारनाथ धाम से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित है शिव पुराण की कोटीरुद्र संहिता में लिखा है की पुराने समय में बदरीवन में विष्णु भगवान  के अवतार नारायण शिवलिंग बनाकर भगवान शिव का रोग पूजन करते थे|

केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में है केदारनाथ 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है उत्तराखंड के चार धामों में भी शामिल है धाम से जुड़ी कई मान्यताएं प्रचलित है|शिवपुराण की कोटीरुद्र संहिता में लिखा है कि पुराने समय में बदरीवन में विष्णु भगवान के अवतार नर-नारायण पार्थिव शिवलिंग बनाकर रोज पूजा करते थे। नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए।

शिव जी ने नर नारायण से वरदान मांगने के लिए कहा तब नर नारायण ने वरदान मांगा की शिवजी हमेशा यही रहे| ताकि अन्य भक्तों को भी शिव जी के दर्शन आसानी से हो सके यह बात सुनकर शिव जी ने कहा कि अब से मैं यही रहेंगे यह का क्षेत्र केदार नाम से प्रसिद्ध होगा|

पांडवों से जुड़ी है केदारनाथ की मान्यता

महाभारत के समय में यानी द्वापर युग में केदार का क्षेत्र में शिव जी के पांडवों को बाल रूप में दर्शन दिए थे वर्तमान मंडी का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने 8वीं 9मी सदी में करवाया था| यह मंदिर उत्तराखंड के चार धामों में से एक है| मंदिर समुद्र तल से करीब 3583 मीटर की ऊंचाई पर है| यह मंदिर हिमालय क्षेत्र में है इस कारण शीत ऋतु के दिनों में यह बंद रहता है|

गुरु शंकराचार्य ने कराया था मंदिर का जिर्णोद्धार

मान्यता है कि मान्यता है कि केदारनाथ धाम स्वयंभू  शिवलिंग स्थापित है| स्वयंभू  शिवलिंग का अर्थ है जो समय प्रकट हुआ है| केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडव राजा जनमेजय ने करवाया था। बाद में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का जिर्णोद्धार करवाया|

मंदिर से जुड़ी अन्य खास बातें हैं

केदारनाथ मंदिर एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है मुख्य भाग मंडप और गर्भ ग्रह के चारों ओर परिक्रमा मार्ग है|

मंदिर के बाहर परिसर में शिव जी के वाहन नंदी विराजित है यहां शिव जी का पूजन प्राचीन समय से चली आ रही विधि से किया जाता है|

सुबह सुबह शिवलिंग को स्नान कराया जाता है घी का लेपन किया जाता है इसके बाद धूप दीप आदि पूजन सामग्री के साथ भगवान की आरती की जाती है शाम के समय भगवान विशेष सिंगार किया जाता है|

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केदारनाथ की चढ़ाई कितनी है?

यह मार्ग कुल 16 किलोमीटर होता है। यात्रा गौरीकुंड से शुरू होती है, जो केदारनाथ से 16 किलोमीटर दूर होता है। मार्ग पर कई ठहरने के स्थल होते हैं, जहां यात्री आराम कर सकते हैं। मार्ग पर चाय स्टाल और छोटे-मोटे खाने की दुकानें भी होती हैं।

केदारनाथ शिवलिंग के पीछे क्या कहानी है?

कथा इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना का इतिहास संक्षेप में यह है कि हिमालय के केदार शृंग पर भगवान विष्णु के अवतार महातपस्वी नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे। उनकी आराधना से प्रसन्न होकर भगवान शंकर प्रकट हुए और उनके प्रार्थनानुसार ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वर प्रदान किया।

केदारनाथ पैदल चलने में कितना समय लगता है?

अगर आप या सोच रहे हैं कि हमें केदारनाथ की चढ़ाई करने में कितना समय लगेगा तो मैं आपको या बता दूं कि एक आम इंसान लगभग 5 से 6 घंटे में केदारनाथ की चढ़ाई पूरी कर देता है

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